BRABU : छात्रों से वसूली गई फीस की होगी जांच, ऑडिट के लिए कॉलेजों से मांगी गई पांच वर्षों की फाइल, जाने डिटेल्स

MUZAFFARPUR: बिहार यूनिवर्सिटी के कॉलेजों की ओर से छात्रों से ली गई फीस की जांच होगी। ऑडिट के लिए पांच वर्षों की फाइल कॉलेजों से मांगी गई है। कॉलेजों के अलावा पीजी विभागाध्यक्षों से भी फीस का ब्योरा मांगा गया है। बिहार यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार ने कॉलेजों और पीजी विभागाध्यक्षों को इसके लिए निर्देश पत्र भेजा है। उन्हें 27 अप्रैल तक फीस के साथ 24 बिंदुओं पर दस्तावेज विवि में जमा करने का निर्देश दिया गया है।

बिहार यूनिवर्सिटी में इस वक्त वर्ष 2015 से फरवरी 2022 तक की ऑडिट चल रही है। विवि के अलावा कॉलेजों की भी ऑडिट की जानी है। कॉलेजों और पीजी विभागों की फाइल जांच के लिए ऑडिटर को दी जाएगी। कॉलेज के प्राचार्यों के अलावा विवि के सभी सेक्शन ऑफिसर को भी पत्र लिखकर उनसे फाइल मांगी गई है।

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कॉलेजों को मिले अनुदान की भी होगी जांच :

वर्ष 2015 से 2021 तक यूजीसी और दूसरी संस्थाओं से कॉलेजों और पीजी विभागों को मिले अनुदान की भी जांच होगी। कॉलेजों और विभागों से इसकी फाइल भी तलब की गई है। इससे पहले भी कॉलेजों से अनुदान का ब्योरा मांगा था जिस पर कई कॉलेजों ने जवाब नहीं दिया था। इस मामले में सीतामढ़ी के एक व्यक्ति ने राजभवन और निगरानी में शिकायत की थी। इसके बाद निगरानी ने विवि से अनुदान के बारे में ब्योरा मांगा था। बगहा के एक कॉलेज पर पहले से ही यूजीसी के अनुदान में गड़बड़ी का केस चल रहा है।

एनटीटी कोर्स की भी मंगाई गई फाइल

रजिस्ट्रार ने कॉलेजों से वहां चल रही एनटीटी (नर्सरी टीचर ट्रेनिंग) की भी फाइल मांगी है। बिहार विवि के कई बड़े कॉलेजों ने बिना विवि के अनुमति के एनटीटी कोर्स शुरू कर दिया है और सीट से काफी अधिक दाखिला लिया गया है। पिछले दिनों विवि के प्रॉक्टर प्रो. अजीत कुमार ने भी कॉलेजों को पत्र लिखकर एनटीटी कोर्स चलाने पर जवाब मांगा था, लेकिन दो कॉलेजों ने ही विवि को जवाब दिया था। प्रॉक्टर ने एनटीटी कोर्स में कितनी फीस ली गई इसका भी ब्योरा कॉलेजों से मांगा था।

एनएसएस और स्पोर्ट्स मद में लिए पैसे की भी होगी ऑडिट :

कॉलेजों में स्पोर्ट्स और एनएसएस मद में लिए पैसे की भी ऑडिट होगी। कॉलेजों से एनएसएस और स्पोर्ट्स मद में कितनी फीस ली गई और उसमें से कितने का इस्तेमाल किया गया। इसकी फाइल मंगायी गयी है। कॉलेजों ने एनएसएस मद के विवि के करोड़ों रुपये बकाया रखा है। इसके अलावा खेल मद की भी विवि के हिस्सा की राशि नहीं दी है।

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