शिक्षकों को प्रमाण पत्र देना होगा , नहीं तो बर्खास्त होंगे
पटना वर्ष 2006 से 2015 तक नियोजित हुए शिक्षकों के प्रमाणपत्रों को वेब पोर्टल पर अपलोड करने को लेकर शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को निर्देश जारी किया है। विभाग ने कहा है कि जिन शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच अभी तक नहीं हो पाई है, उन्हें अपना प्रमाणपत्र स्वयं पोर्टल पर अपलोड करना होगा। ऐसा नहीं करने वाले शिक्षकों की सेवा समाप्त की जाएगी और वेतन की भी वसूली होगी।
विभाग के प्राथमिक शिक्षा निदेशक डॉ. रणजीत कुमार सिंह द्वारा जारी लाख तीन हजार शिक्षकों की सूची पोर्टल पर जारी की जाएगी। इनके प्रमाणपत्र की जांच नहीं हो पाई है। जिला शिक्षा पदाधिकारियों द्वारा जिला, प्रखंड और नियोजन इकाईवार शिक्षकों की सूची अपलोड की जाएगी। इन शिक्षकों को विभाग द्वारा तय समय सीमा के अंदर सभी आवश्यक प्रमाणपत्र और नियोजन पत्र को पोर्टल पर अपलोड करना होगा।
11 सौ 32 फर्जी प्रमाण पत्र मिले हैं निगरानी विभाग को जांच के दौरान अबतक
419 प्राथमिकी भी दर्ज कराई जा
पहले के आदेश बेअसर 54 हजार शिक्षक होंगे
कई बार शिक्षा विभाग द्वारा जिलों को पूर्व में निर्देश दिया गया कि शिक्षकों के फोल्डर निगरानी को सौंपे
जाएं। नियोजन इकाइयों को भी निर्देश दिए गए पर इसके अपेक्षित परिणाम नहीं आए। अंततः शिक्षा विभाग को यह वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ी है। 54 हजार शिक्षक होंगे
पर्व में हुए वेतन भगतान की राशि भी वसली जाएगी|विभाग ने जारी आदेश में कहा है कि
प्रमाणपत्र अपलोड नहीं करने पर माना जाएगा कि शिक्षकों को नियुक्ति की वैधता के संबंध में कुछ
नहीं कहना है। ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति अवैध मानकर कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद जिला
शिक्षा कार्यालय द्वारा ऐसे शिक्षकों की सूचना संबंधित नियोजन इकाई को दी जाएगी। नियोजन
इकाइयों द्वारा शिक्षकों से स्पष्टीकरण पूछकर उनकी सेवा समाप्त करते हुए उनसे पूर्व में हुए वेतन
भुगतान की वसूल की जाएगी।
विभाग पोर्टल तैयार करा रहा है और शीघ्र ही प्रमाणपत्र अपलोड करने की तिथि जारी करेगा गौरतलब हो
कि पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर निगरानी द्वारा शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच की जा रही है । नियोजन इकाइयों
द्वारा जांच में सहयोग नहीं किया जा रहा है। इसको देखते हुए विभाग ने प्रमाणपत्र जांच की वैकल्पिक व्यवस्था की है।
पांच सालों से अधिक समय से चल रही जांच
वर्ष 2015 में निगरानी विभाग को शिक्षक नियोजन में चयनित शिक्षकों के फर्जी प्रमाणपत्रों की जांच की
जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। इस तरह पांच साल से अधिक दिनों से यह जांच चल रही है। सभी शिक्षकों के
एक-एक प्रमाण पत्रों की जांच संबंधित बोर्ड व विश्वविद्यालयों के माध्यम से करायी जा रही है। इसके लिए बिहार सहित दूसरे राज्यों के बोर्ड व विश्वविद्यालयों से भी संपर्क किया गया है। निगरानी विभाग को जांच के दौरान अबतक 1132 फर्जी प्रमाण पत्र मिले हैं। इस मामले में 419 प्राथमिकी भी दर्ज कराई जा चुकी है। निगरानी का कहना है कि प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं होने से इसमें देर हो रही है।54 हजार शिक्षक होंगे
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