कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर की भयावहता को देखते हुए राज्यभर के अन्य शैक्षिक संस्थानों के साथ ही पहली से 12वीं तक के सभी करीब अस्सी हजार सरकारी विद्यालय बंद हैं । इन स्कूलों में नामांकित बच्चों को अबतक न तो किताबें मिली हैं और न ही राज्य के निजी स्कूलों की तरह ऑनलाइन कक्षाएं ही आरंभ की जा सकी हैं। शिक्षा विभाग ने इस समस्या के समाधान की दिशा में काम तेज कर दिया है ।
शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी के मुताबिक विभाग ने बहुत ही व्यापकता के संग ई लाइब्रेरी बनाई है, जिसके माध्यम से भरपूर ऑनलाइन सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। विद्यावाहिनी एप की तरह ही इस ऑनलाइन लाइब्रेरी पोर्टल पर सभी कक्षाओं के सभी पाठ की शिक्षण सामग्री रहेगी। मूल पाठ के साथ ही उससे जुड़े अन्य सपोर्ट कंटेट भी मिलेंगे । विद्यार्थियों के साथ ही शिक्षकों के लिए भी इसे मददगार बनाने की कोशिश हुई है। जानकारी के मुताबिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार के निर्देश और देखरेख में ई-लाइब्रेरी तैयार की गई है । शिक्षा विभाग कोरोना संक्रमण की स्थिति में थोड़ा ठहराव आते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष इसका प्रजेंटेशन करेगा। स्वीकृति मिलते ही ई लाइब्रेरी को लांच करने की तैयारी है।
जिनके पास संसाधन होगा, वही ले सकेंगे लाभ
शिक्षा विभाग बच्चों की सुरक्षा को मुख्य प्राथमिकता देना चाहता है। इसलिए ऐसा कोई जोखिम या प्रयोग नहीं करना चाहता जिससे संक्रमण के चेन को बच्चों के बीच फैलने का अवसर पैदा हो । दूसरी समस्या संसाधन की है। चूंकि राज्य के सरकारी विद्यालयों में मध्य और निम्न मध्य आय वर्ग के बच्चे पढ़ते हैं, इसलिए सबके पास टीवी, नेट या स्मार्ट फोन की उपलब्धता नहीं है ।
कुछ चुनिंदा बच्चे ही इस सुविधा को रखते हैं। ऐसे में कोई भी ऑनलाइन पढ़ाई या किसी पोर्टल के माध्यम से शिक्षण सामग्री को बच्चों तक पहुंचाना विभाग के लिए बड़ी चुनौती है। ई लाइब्रेरी से भी पठन सामग्री वही बच्चे डाउनलोड कर पायेंगे या पढ़ पायेंगे जिनके परिवार में स्मार्ट फोन और नेट की सुविधा है।
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