UGC Guidelines: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने दो फुलटाइम डिग्री कोर्स को एक साथ प्रत्यक्ष, ऑनलाइन या डिस्टेंस एजुकेशन के माध्यम से करने की अनुमति के लिए बुधवार को दिशानिर्देश अधिसूचित किए। यूजीसी के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने मंगलवार को घोषणा की थी कि आयोग ने छात्रों को एक ही यूनिवर्सिटी या विभिन्न संस्थानों से एक साथ प्रत्यक्ष तरीके से दो फुलटाइम और समान स्तर के डिग्री कार्यक्रम करने की अनुमति देने का फैसला किया है।
समय का दूसरे कार्यक्रम की कक्षा के समय के साथ मिलान न हो
दिशानिर्देश बुधवार से लागू किए गए हैं और उन छात्रों द्वारा कोई पूर्व समय से लाभ का दावा नहीं किया जा सकता है, जिन्होंने इन दिशानिर्देशों की अधिसूचना से पहले एक साथ दो शैक्षणिक कार्यक्रम किए हैं।
छात्र प्रत्यक्ष माध्यम में दो पूर्णकालिक शैक्षणिक कार्यक्रमों को कर सकता है
दिशानिर्देश में कहा गया है कि कोई छात्र प्रत्यक्ष माध्यम में दो पूर्णकालिक शैक्षणिक कार्यक्रमों को कर सकता है बशर्ते कि ऐसे मामलों में एक कार्यक्रम के लिए कक्षा के समय का दूसरे कार्यक्रम की कक्षा के समय के साथ मिलान न हो। कोई छात्र दो शैक्षणिक कार्यक्रमों को एक पूर्णकालिक प्रत्यक्ष मोड में और दूसरा खुला एवं दूरस्थ माध्यम (ओडीएल), ऑनलाइन मोड में या एक साथ दो ओडीएल और ऑनलाइन कार्यक्रम के जरिए पूरा कर सकता है।
केंद्र सरकार द्वारा ऐसे कार्यक्रम चलाने के लिए मान्यता
इसमें कहा गया कि ओडीएल या ऑनलाइन माध्यम के तहत डिग्री या डिप्लोमा कार्यक्रमों को केवल ऐसे एचईआई (उच्च शिक्षा संस्थानों) के साथ आगे बढ़ाया जाएगा जिन्हें यूजीसी, वैधानिक परिषद या केंद्र सरकार द्वारा ऐसे कार्यक्रम चलाने के लिए मान्यता प्राप्त है। यूजीसी ने सूचित किया है कि इन दिशानिर्देशों के तहत डिग्री या डिप्लोमा कार्यक्रम उसके द्वारा अधिसूचित नियमों और संबंधित वैधानिक और पेशेवर परिषदों, जहां भी लागू हो, द्वारा शासित होंगे।
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पीएचडी कार्यक्रम के अलावा अन्य शैक्षणिक कार्यक्रमों लागू होंगे
यूजीसी ने कहा कि दिशानिर्देश केवल पीएचडी कार्यक्रम के अलावा अन्य शैक्षणिक कार्यक्रमों का अनुसरण करने वाले छात्रों पर लागू होंगे। दिशानिर्देशों के आधार पर, विश्वविद्यालय अपने छात्रों को एक साथ दो शैक्षणिक कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने की अनुमति देने के लिए अपने वैधानिक निकायों के माध्यम से तंत्र तैयार कर सकते हैं।
आयोग ने 2012 में भी इस विचार पर अध्ययन के लिए समिति बनाई थी
यूजीसी लंबे समय से इस तरह की योजना बना रहा था, लेकिन उसे इसके लिए 2020 में मंजूरी मिली थी। आयोग ने 2012 में भी इस विचार पर अध्ययन के लिए समिति बनाई थी और विचार-विमर्श किया गया, लेकिन अंतत: इस विचार को छोड़ दिया गया।
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