BRABU: बिहार यूनिवर्सिटी की ओर से चयनित एजेंसी की लापरवाही हर वर्ष छात्रों के लिए मुसीबत बन रही है। यूनिवर्सिटी का रिजल्ट पिछले तीन वर्षों से लगातार गड़बड़ हो रहा है। इसके बावजूद विवि इसको सुधारने के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। रिजल्ट सुधार के लिए यूनिवर्सिटी कॉलेजों और साइबर कैफे के पाले में गेंद फेंक खुद को बचा रही है।
रिजल्ट 30 दिसंबर 2019 को जारी किया गया था
बिहार यूनिवर्सिटी में वर्ष 2019 से ही रिजल्ट गड़बड़ हो रहा है। सत्र 2016 19 के छात्रों का रिजल्ट 30 दिसंबर 2019 को जारी किया गया था। इसमें आधे छात्रों का रिजल्ट पेंडिंग हो गया। इसके बाद सत्र 2019-20 के पार्ट टू का रिजल्ट जब जारी किया गया तो कई छात्रों के रिजल्ट फंसे।
सत्र 2018-21 के थर्ड पार्ट के रिजल्ट में भी गड़बड़ी सामने आयी
सत्र 2019-22 के पार्ट वन का रिजल्ट पिछले वर्ष नवंबर महीने में जारी किया गया था, उस रिजल्ट में भी छात्रों के नंबर मार्क्सशीट पर नहीं जुड़े थे। अब सत्र 2018-21 के थर्ड पार्ट के रिजल्ट में भी गड़बड़ी सामने आयी।
यूनिवर्सिटी का कहना है कि प्राचार्यों के सत्यापन नहीं करने से रिजल्ट फंसता है
यूनिवर्सिटी ने रिजल्ट तैयार करने के लिए एजेंसी को जिम्मा दिया, लेकिन वह इस काम में फेल हो रही है। पार्ट वन सत्र 2019-22 में एडमिट कार्ड से लेकर रिजल्ट तक में एजेंसी की ओर से गड़बड़ी करने का मामला सामने आया। इस बार भी रिजल्ट एजेंसी ने ही तैयार किया है लगातार गड़बड़ी के बाद भी एजेंसी पर अब तक ठोस कार्रवाई यूनिवर्सिटी की और से नहीं की गई है। उधर, यूनिवर्सिटी का कहना है कि प्राचार्यों के सत्यापन नहीं करने से रिजल्ट फंसता है।
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