अब परीक्षा फॉर्म भरने के साथ ही मूल प्रमाण पत्र के लिए भी छात्रों से शुल्क जमा करा लेगा बीआरएबीयू

बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में डिग्री लेने के लिए छात्रों को भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। आवेदन के छह साल भर बाद भी डिग्री नहीं मिलने पर छात्र हर रोज काफी संख्या में विवि कार्यालय पहुंच रहे हैं। लंबे समय से चली आ रही इस समस्या को देखते हुए विवि प्रशासन अब छात्रों से परीक्षा फॉर्म भरने के समय ही मूल प्रमाण पत्र के लिए भी राशि ले लेगा। फाइनल ईयर के रिजल्ट के बाद राजभवन से कन्वोकेशन या डीम्ड डेट मिलते ही प्रमाण पत्र एकमुश्त कॉलेज को भेज दिए जाएंगे।

परीक्षा विभाग ने इसे लेकर प्लान तैयार किया है

इसे वर्तमान सत्र के फाइनल ईयर की परीक्षा से लागू किया जाएगा। परीक्षा नियंत्रक डॉ. संजय कुमार ने कहा कि प्लान बनाया गया है। इसे परीक्षा बोर्ड से पारित कराने के बाद फाइनल ईयर की परीक्षा से लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यूजी, पीजी एवं अन्य कोर्स के साथ हर साल तकरीबन लाख डिग्री बननी है। नौकरी में जरूरत पड़ने पर भीड़ बढ़ जाती है। भीड़ कम करने के लिए अब प्रोविजनल की तरह ओरिजिनल डिग्री भी बनाई जाएगी।

विवि की मानें तो एक साथ एक सत्र की डिग्री बनाने में अब परेशानी नहीं होगी। लेकिन आवेदन लेकर डिग्री देने की पुरानी प्रक्रिया में समस्या हमेशा बनी रहेगी।

अभी जरूरत पड़ने पर आवेदन देने पर मिलती है डिग्री अभी छात्र जरूरत पड़ने पर आवेदन के साथ राशि जमा कर डिग्री लेते हैं। कोरोना काल में बैकलॉग होने से भीड़ अधिक है। शिक्षक और दारोगा बहाली को लेकर भी दबाव है।

एक सप्ताह में छप जाएगी एक सत्र के छात्रों की डिग्री

विवि में पहले मैन्युअल डिग्री बनती थी। इसे सुंदर अक्षर में लिखना होता था। पदाधिकारी से लेकर कुलपति तक के हस्ताक्षर में समय लगता था। अब कंप्यूटराइज्ड डिग्री की छपाई में अधिक समय नहीं लगता। परीक्षा विभाग के अनुसार, एक सप्ताह में एक सत्र के छात्रों की डिग्री छप जाएगी।

हर साल सवा लाख छात्र पास करते हैं और 10 हजार भी डिग्री नहीं बनती थी, इसलिए बैकलॉग: हर साल विवि से यूजी, पीजी, वोकेशनल, होमियोपैथी, आयुर्वेद, यूनानी सहित अन्य कोर्स के सवा लाख छात्र पास करते हैं। जबकि हाथ से लिखी डिग्री मुश्किल से 10 हजार बनती थी। इससे कई वर्षों का बैकलॉग है।

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