Diwali 2021 Laxmi Puja Vidhi , Muhurat, Aarti , Mantra : दिवाली लक्ष्मी पूजन मुहूर्त समय, पूजा विधि , मंत्र और लक्ष्मी आरती, यहाँ जाने शुभ मुहूर्त

Diwali 2021 Laxmi Puja Vidhi , Muhurat, Aarti , Mantra : आज देश भर में दिवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। दिवाली पर मां लक्ष्मी और गणेश का विधिवत पूजन किया जाना चाहिए। हिंदू धर्म में लक्ष्मी को धन की देवी तो गणेश को बुद्धि का देवता माना जाता है।

शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना

दीपावली के दिन इनकी पूजा करने से लोगों को बुद्धि और धन की विशेष प्राप्ति होती है। इस बार दिवाली पर प्रीति और आयुष्मान तुला राशि पर चतुष्ग्रही योग के साथ स्वग्रही शनि और राहु-केतु योगों के कारण बेहद शुभ रहने वाली है। प्रीति योग के कारण जहां आपसी सौहार्द बढ़ेगा। वहीं, आयुष्मान योग से रोगों से मुक्ति मिलेगी। शुभ योग-संयोग के साथ ही लोग घरों और प्रतिष्ठानों पर शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करेंगे।

दिवाली 2021 लक्ष्मी-गणेश पूजन मुहूर्त-

दिवाली पर पूजन का सर्वश्रेष्ठ समय धनु और मकर लग्न में सुबह 09:49 से 01:37 तक है। इसके बाद शाम के समय पूजन का समय 5:33 बजे से 06:10 बजे तक, मिथुन लग्न में रात्रि में पूजन का समय 8:03 बजे से रात्रि 10:17 बजे तक और सिंह लग्न में पूजन का समय रात्रि में 10:33 बजे से 1:30 बजे तक रहेगा।

लक्ष्मी पूजा शुभ मुहूर्त- 06:10 PM से लेकर 08:06 PM तक
लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल मुहूर्त – 05:35 PM से 08: 10 PM तक

लक्ष्मी पूजा निशिता काल मुहूर्त – 11:38 PM से 12:30 AM तक
अमावस्या तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 04, 2021 को 06:03 AM बजे
अमावस्या तिथि समाप्त – नवम्बर 05, 2021 को 02:44 AM बजे
लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त:
प्रातः मुहूर्त (शुभ) – 06:35 AM से 07:58 AM
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 10:42 AM से 02:49 PM शाम का मुहूर्त (अमृत, चर) – 05:34 PM से 08:49 PM
रात्रि मुहूर्त (लाभ) – 12:05 AM से 01:43 AM

मां लक्ष्मी-गणेश पूजन विधि-
सबसे पहले पूजा का संकल्प लें। अपने ऊपर, आसन और पूजन सामग्री पर 3-3 बार कुशा या पुष्पादि से जल का छिड़काव कर यह शुद्धिकरण मंत्र पढ़ें-

ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपि वा। यःस्मरेत् पुण्डरीकाक्षं सबाह्याभ्यंतर: शुचिः।।

ये मंत्र पढ़ते हुए आचमन करें और हाथ धोएं..
ॐ केशवाय नमः, ॐ माधवाय नम:, ॐनारायणाय नमः ऊँ ऋषिकेशाय नम:

अनामिका अंगुली से चंदन/रोली लगाते हुए मंत्र पढ़ें-
चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्
आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठतु सर्वदा।

लक्ष्मी जी की पूजा से पहले भगवान गणेश का पूजन करें। ॐ गं गणपतये नम: मंत्र बोलते हुए गणेश जी को स्नान करवाने के बाद सभी पूजन सामग्री चढ़ाएं।

श्रीगणेश, लक्ष्मी, सरस्वती जी के साथ कुबेर जी के सामने एक-एक करके सामग्री अर्पित करें।

मां लक्ष्मी को केसर, ऐपन, कमलगट्टा,कमल पुष्प, धान के लावा चढ़ाएं।
मां लक्ष्मी की आराधना में गणपति-गौरी, कलश, षड्विनायक, मातृका नवग्रह के साथ कुबेर का पांच सामग्री (हल्दी, धनियां, कमलगट्टा, मजीठ और नकद) से भरी थैली जरूरी है। साथ ही धन की देवी के पास केसर, ऐपन, कमलगट्टा,कमल पुष्प, धान के लावा विशेष रूप से चढ़ाना चाहिए।

इसके बाद देवी-देवताओं के सामने घी के दीए प्रवज्जलित करें।

ऊं श्रीं श्रीं हूं नम: का 11 बार या एक माला का जाप करें।
एकाक्षी नारियल या 11 कमलगट्टे पूजा स्थल पर रखें।
श्री यंत्र की पूजा करें और उत्तर दिशा में प्रतिष्ठापित करें।
देवी सूक्तम का पाठ करें।

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