BRABU : बिहार यूनिवर्सिटी अमेरिका की तर्ज पर छात्रों का डाटा तैयार करने के लिए सॉफ्टवेयर तैयार करने जा रहा है। सॉफ्टवेयर तैयार करने का काम यूएमआईएस की ओर से किया जा रहा है, इससे एक क्लिक में छात्रों की पूरी जानकारी मिल जायेगी। अभी बिहार यूनिवर्सिटी के पास छात्रों की पूरी जानकारी प्राप्त करने का कोई सिस्टम नहीं है।
यूनिवर्सिटी के यूएमआईएस कोऑर्डिनेटर प्रो. टीके डे ने बताया
बिहार यूनिवर्सिटी के यूएमआईएस कोऑर्डिनेटर प्रो. टीके डे ने बताया कि सॉफ्टवेयर निर्माण की प्रक्रिया जारी है, इसी सत्र में यह शुरू हो जायेगा। इस सॉफ्टवेयर में छात्रों की जानकारी के साथ उनके प्रमाणपत्र और अंकपत्र भी रहेंगे। इससे फायदा होगा कि छात्रों के अंकपत्र के सत्यापन के लिए उसकी कॉपी विवि में नहीं भेजनी होगी।
डिग्री के सत्यापन में महीने भर से अधिक का वक्त लग जाता
जिस संस्थान को छात्र की जानकरी लेनी है, वह बिहार विवि के संबंधित लिंक पर जायेगा और वहां क्लिक करके डिग्री का सत्यापन कर लेगा। अब तक डिग्री के सत्यापन में महीने भर से अधिक का वक्त लग जाता था, इससे छात्रों को काफी परेशानी होती थी।
कोई परीक्षक इससे अधिक अंक देगा तो वह अंक सॉफ्टवेयर में दर्ज नहीं होगा
डाटा सॉफ्टवेयर के साथ परीक्षा विभाग भी एक सॉफ्टवेयर तैयार कर रहा है, जिसमें पूर्णांक सेट होंगे। परीक्षा नियंत्रक डॉ. संजय कुमार ने बताया कि सॉफ्टवेयर में एक्सटरनल के 70 और इंटरनल के 30 अंक सेट रहेंगे। अगर कोई परीक्षक इससे अधिक अंक देगा तो वह अंक सॉफ्टवेयर में दर्ज नहीं होगा।
बिहार में अब तक नहीं है ऐसी सुविधा
यूएमआईएस कोऑर्डिनेटर ने बताया कि बिहार के दूसरे विश्वविद्यालयों में अभी ऐसी सुविधा नहीं है। अमेरिका, फ्रांस जैसे देशों में ही छात्रों के लिए ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है। इस सुविधा के शुरू होने से बिहार विश्वविद्यालय सूबे के हाइटेक विश्वविद्यालयों में शामिल हो जायेगा।
छात्रों का डाटा तैयार होने के बाद परीक्षा फॉर्म भराने में भी कोई परेशानी नहीं होगी। सॉफ्टवेयर में छात्र का नाम, रजिस्ट्रेशन नंबर, रजिस्ट्रेशन का वर्ष, कक्षा, रोल नंबर, विषय का जिक्र होगा। छात्र ने कभी परीक्षा में प्रमोट किया है तो उसका भी जिक्र सॉफ्टवेयर में होगा।
रजिस्ट्रेशन की प्रकिया में हुआ बदलाव
विवि में रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में भी बदलाव किया गया है। प्रो. डे ने बताया कि रजिस्ट्रेशन के लिए छात्रों को अब तक विवि में आकर माइग्रेशन जमा करना पड़ता था, लेकिन नये सत्र से वह जिस कॉलेज में दाखिला लेंगे, वहीं जाकर जमा करेंगे। कॉलेज सभी छात्रों का डाटा एक्सेल शीट में भर कर भेजेगा। उसके बाद रजिस्ट्रेशन होगा। रजिस्ट्रेशन नंबर 15 अंकों का होगा। इसमें सभी न्यूमेरिक होंगे। 12 अंकों का रोल नंबर मिलेगा, जो परीक्षा का रोल नंबर होगा।
घर बैठे पता कर सकेंगे रिजल्ट
प्रो. डे ने बताया कि इस सॉफ्टवेयर के बन जाने से छात्रों को भी विश्वविद्यालय नहीं आना होगा। उनका रिजल्ट तैयार है या नहीं या उसमें कोई गड़बड़ी है, वह घर बैठे ही पता लगा सकेंगे। अभी छात्रों को अपना रिजल्ट चेक करने, पेंडिंग सुधरवाने के लिए कॉलेज से लेकर विश्वविद्यालय तक चक्कर काटने होते हैं।
इस सॉफ्टवेयर के लांच होने के बाद छात्रों की यह समस्या समाप्त हो जायेगी। छात्रों को अगर डाटा में कोई गलती लगती है तो वह ऑनलाइन ही उसे सुधार करने के लिए आवेदन भी कर सकते हैं।
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