बिहार विश्वविद्यालय के पीजी (2020-22 ) फर्स्ट सेमेस्टर के परिणाम में गड़बड़ी के कारण छात्र छात्राओं की परेशानी बढ़ गयी है।
परीक्षा नियंत्रक सहित अन्य अधिकारियों से शिकायत करेंगे
कहा जा रहा है कि कई परीक्षार्थी 30 अंक लाने के बाद भी फेल हैं, जबकि पासिंग मार्क्स 32 होने के कारण उन्हें ग्रेसमार्क का लाभ दिया जाना चाहिए, दो या तीन अंक के अंतर से तमाम छात्र फेल हो गये हैं.
उनका कहना है कि संबंधित विभाग व कॉलेज में शिकायत करने पर कोई सुनने को तैयार नहीं है. अब शनिवार को वे विश्वविद्यालय पहुंच कर परीक्षा नियंत्रक सहित अन्य अधिकारियों से शिकायत करेंगे।
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फर्स्ट सेमेस्टर की परीक्षा हुई
मूल्यांकन में गड़बड़ी की अधिकतर शिकायत मनोविज्ञान व फिजिक्स विषय के छात्रों ने की है, उनका कहना है कि एक तो पहले से ही सेशन लेट चल रहा है. 2020-22 सत्र इस साल पूरा होना चाहिए, लेकिन अभी फर्स्ट सेमेस्टर की परीक्षा हुई है।
गड़बड़ी के कारण सैकड़ों छात्र-छात्राओं के लिए मुश्किल खड़ी
अभी रिजल्ट सही हो जाये, तब भी तीन सेमेस्टर की परीक्षा होनी है, ऐसे में फर्स्ट सेमेस्टर में मूल्यांकन की गड़बड़ी के कारण सैकड़ों छात्र-छात्राओं के लिए मुश्किल खड़ी हो गयी है. आरडीएस कॉलेज फिजिक्स के छात्र प्रभाकर कुमार व प्रभास कुमार विश्वविद्यालय मनोविज्ञान विभाग की छात्र नेहा कुमारी, शाइस्ता परवीन, एमएस कॉलेज मोतिहारी के फिजिक्स की छात्रा प्रियांशु कुमारी, विश्वविद्यालय फिजिक्स विभाग की छात्रा प्रगति कुमारी सहित सैकड़ों परीक्षार्थी है, जिन्हें काफी कम अंक से फेल किया गया है।
कोई निर्णय नहीं हुआ, तो वे आंदोलन के लिए बाध्य
छात्र-छात्राओं का कहना है कि अब वे विश्वविद्यालय पहुंचकर अधिकारियों के सामने अपनी बात रखेंगे. कोई निर्णय नहीं हुआ, तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे. साथ ही कहा कि ऐसी स्थिति पैदा होने से छात्रों को अनावश्यक यूनिवर्सिटी का चक्कर लगाना पड़ता है.
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