BRABU Ph.D: बिहार यूनिवर्सिटी में PhD में खानापूर्ति का मामला उगाजर हुआ है। इसमें छात्र से लेकर गाइड तक शामिल हैं। यही वजह है कि पुराने और कई बार किए जा चुके शोध वाले विषय और टॉपिक को ही फिर से शोध के लिए लाने का मुद्दा रविवार को पीजीआरसी की बैठक में गरमाया रहा। सीनेट हाल में हुई बैठक में कमेटी ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई और ऐसे सभी शोध प्रस्ताव को लौटा दिये। दो दर्जन शोध प्रस्ताव लौटाए गये हैं। सबसे अधिक हिस्ट्री में 40 फीसदी शोध प्रस्ताव लौटाये गये। बताया गया कि PhD के नाम पर खानापूर्ति अब नही चलेगा।
History में 55 में से 20 सिनॉप्सिस विभाग में वापस
असम और अन्य पूर्वोतर राज्यों के शोध प्रस्ताव शामिल नहीं किए गए। फर्जी नौकरी के प्रमाण पत्र के आधार पर शोध के लिए आवेदन देने वालों का निर्धारित शर्त पूरा नहीं करने के कारण वापस किया गया है। History में 55 में से 20 सिनॉप्सिस विभाग में वापस भेजे गए हैं। साइकोलॉजी में एक सिनॉप्सिस फॉर्मेट में नहीं होने से रिजेक्ट किया गया। पीजीआरसी (पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च काउंसिल) ने दो दर्जन शोध प्रस्तावों को टॉपिक और सब्जेक्ट मोडिफिकेशन के लिए डीआरसी को वापस लौटा दिया।
तीन फैकल्टी के आए 206 शोध प्रस्ताव
पीआरसी की बैठक में तीन फैकल्टी के 206 शोध प्रस्ताव रखे गये। सोशल साइंस फैकल्टी से सबसे अधिक 161 शोधार्थियों का आवेदन है। वहीं मैनेजमेंट के सात और एजुकेशन के 38 आवेदन रखे गये थे। पीजी विभागों के डीआरसी से स्वीकृत शोध प्रस्तावों पर पीजीआरसी की बैठक में चर्चा हुई। प्रोवीसी प्रो रविंद्र कुमार ने बताया कि सोशल साइंस, मैनेमेंट व एजुकेशन फैकल्टी के शोध प्रस्ताव रखे गये।
प्रॉक्टर प्रो.अजित कुमार ने बताया कि सुधार के बाद दुबारा
सोशल साइंस फैकल्टी में हिस्ट्री सहित अन्य विषय के शोधार्थियों के करीब दो दर्जन शोध प्रस्ताव कुछ ऑब्जेक्शन के साथ डीआरसी को वापस करने का निर्णय लिया गया। प्रॉक्टर प्रो.अजित कुमार ने बताया कि सुधार के बाद दुबारा इन शोध प्रस्ताव को भेजने का निर्देश मिला है। टॉपिक और सब्जेक्ट मोडिफिकेशन का सुझाव डीआरसी को दिया गया है। यह बैठक 20 नवंबर को आयोजित थी, जिसे एक दिन पहले अपरिहार्य कारणों से स्थगित कर दिया गया।
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