बीआरए बिहार विवि 20 हजार छात्र पांच महीने बाद भी बिना कॉलेज के हैं। इन छात्रों पर विवि प्रशासन अब तक कोई फैसला नहीं ले सका है। इन छात्रों के मामले की जांच के लिए प्रोवीसी की अध्यक्षता में कमेटी बनायी गयी थी। इस कमेटी ने इन छात्रों को अंगीभूत कॉलेजों में मर्ज करने की सिफारिश की थी, लेकिन यह सिफारिश मौखिक रही, इसे दस्तावेज पर नहीं लाया गया। वहीं, बिहार विवि के प्रो बीसी प्रो. रवींद्र कुमार का कहना है इन छात्रों की परीक्षा ली जाएगी, उन्हें कॉलेज मुहैया कराने की प्रक्रिया चल रही है।
इन छात्रों का दाखिला डेढ़ दर्जन बिना संबद्धता वाले कॉलेजों ने सत्र 2019-2022 में लिया था। हद तो यह रही कि प्रशासन ने इन छात्रों का रजिस्ट्रेशन भी कर दिया। इसके बाद जब जनवरी-फरवरी में पार्ट वन की परीक्षा के लिए फॉर्म भरा गया तो कॉलेजों की संबद्धता नहीं होने से इनके आवेदन को परीक्षा विभाग ने रद्द करते हुए अपने पोर्टल से हटा दिया साथ ही छात्रों को मैसेज भेजकर उन्हें फॉर्म रद्द होने की जानकारी दी गयी। इसके बाद विवि में हड़कंप मचा और इस मामले की जांच शुरू की गयी।
पांच माह से लटका मामला
• बिना संबद्धता वाले डेढ़ दर्जन कॉलेजो ने छात्रों का ले लिया था दाखिला
• जांच के दौरान छात्रों के परीक्षा फॉर्म को कर दिया गया था खारिज
छात्रों को मर्ज करने का ‘काम चल रहा है। पहले छात्रों को अंगीभूत कॉलेजों में मर्ज किया जाएगा। फिर जो बच जाएंगे उन्हें संबद्ध कॉलेजों में मर्ज कर दिया जाएगा।
– प्रो. हनुमान प्रसाद पांडेय, कुलपति
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