बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में स्नातक पार्ट-वन की परीक्षा ऑब्जेक्टिव सवालों के आधार पर कराने के फैसले में बदलाव नहीं होगा। विवि प्रशासन स्पष्ट किया कि ऑब्जेक्टिव सवालों के आधार पर ओएमआर शीट पर परीक्षा लेने के पीछे छात्रों को कोरोना संक्रमण से बचाने और एक साल से अधिक समय से पिछड़े शैक्षणिक सत्र को पटरी पर लाने की कोशिश है।
दरअसल, संबद्ध कॉलेज के शिक्षक ऑब्जेक्टिव सवालों के आधार पर परीक्षा लेने का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे छात्रों के भविष्य पर असर पड़ेगा और उनके अनुदान पर भी असर पड़ सकता है।
ऑब्जेक्टिव के आधार पर केवल एक परीक्षा लेने का निर्णय हुआ
परीक्षा नियंत्रक डॉ. संजय कुमार ने कहा कि ऑब्जेक्टिव के आधार पर केवल एक परीक्षा लेने का निर्णय हुआ है। स्नातक पार्ट-वन की परीक्षा होनी है। यह परीक्षा पिछली साल होनी थी, लेकिन के कारण नहीं हो सकी। कहा कि ऑब्जेक्टिव परीक्षा होगी तो एक महीने से कम समय में रिजल्ट जारी कर दिया जाएगा।
इसके अलावा हरेक परीक्षा में छात्रों की संख्या कम होगी और वे कम समय तक एक दूसरे के संपर्क में रहेंगे। साथ ही एक दिन में दो की जगह तीन सीटिंग की परीक्षा हो सकती है। ओएमआर शीट से परीक्षा से महज एक सप्ताह में रिजल्ट दे दिया जाएगा।
पुरानी पद्धति से यह परीक्षा ली जाती है तो रिजल्ट आने में कम से पांच से छह महीने
परीक्षा नियंत्रक ने कहा कि अगर पुरानी पद्धति से यह परीक्षा ली जाती है तो रिजल्ट आने में कम से पांच से छह महीने का समय लग जाएगा एक लाख 15 हजार से अधिक छात्र परीक्षा देंगे। इनकी छह लाख के करीब कॉपियां होंगी। परीक्षा लेने में ही 22 से 25 दिन का समय लगेगा।
सहयोग की अपील
• बीआरएबीयू कहा, पुरानी पद्धति से परीक्षा हुई तो रिजल्ट में देरी
• सिर्फ एक ही परीक्षा ऑब्जेक्टिव सवालों के आधार पर होगा
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