दो साल से पार्ट 1 के परीक्षा का इंतजार, अधर में एक लाख छात्र-छात्राओं का भविष्य

बीआरए बिहार विश्वविद्यालय अभी तक नहीं ले सका स्नातक प्रथम वर्ष की परीक्षा

बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के स्नातक प्रथम वर्ष के तकरीबन एक लाख विद्यार्विचा को वे साल से परीक्षा का इंतजार है। विवि के अधिकारियों और कॉलेज प्रबंधन की लापखाती का खामियाजा इन्हें भुगतना पड़ता है

सत्र 2019-22 में करीब एक लाख विद्यार्थियों का नामांकन स्नातक में हुआ या। उस समय डेढ़ दर्जन कॉलेजों ने बिना मान्यता के ही 25 हजार विद्यार्थियों का दाखिला ले लिया था। इसको जानकारी दो महीने पहाने विधि को तब हुई जब परीक्षा फॉर्म पी की शुरुआत हुई। इसके बाद जंच बैठा दी गई। विवि की ओर से गठित सात सदस्यीय कमेटी में 15 दिन पहले रिपार्ट सौंप दी। उसने छात्र हित को देते हुए इन विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल करने की संस्तुति की। कुलपति ने परीक्षा करने का मौखिक निर्देश भी दे दिया, लेकिन पक्षा विभाग लिखित आदेश की प्रतीक्षा कर रहा है। अभी स्थिति का है कि सत्र 2020-23 में भी छात्रों का दाखिला हो गया है।

इस मामले में कॉलजी और विवि के दधी पदाधिकारियों पर अबतक कार्राई नहीं की गई है। इससे विवि प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं। कुलपति प्रो. हनुमान प्रसाद पांडेय का कहना है कि संबंधित कॉलेजों और विवि के अधिकारियों से जवाब तलब किया गया है। संतोषप्रद जवाब नहीं मिलने पर प्राथमिकी दर्ज करई जाएगी।

परीक्षा नियंत्रक डॉ. मनोज कुमार का कहना है कि अबतक लिखित आदेश नहीं मिला है। मिलते ही परीक्षा का कार्यक्रम जारी कर दिया जाएगा। इसकी तैयारी पूरी हो गई है।

नए सत्र में रजिस्ट्रेशन से पूर्वी होगी मान्यता की जांच

विश्वविद्यालन अब नए सत्र में नामाकित विद्यार्थियों के रजिस्ट्रेशन से पहले ही कॉलजा को मान्यता की जांच करेगा साथ वे कॉलेजों को सखा तिक्ष्यत दी गई है कि मान्यता नामांकन पर प्राचार्व के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी। मन्त्रों को भी कहा गया है कि नामांकन से पहले विवि से पुष्ट व लें कि सचिता कॉलेज की मान्यता है या नहीं।

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