बीआरए बिहार विश्वविद्यालय नैशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी के डिजी लॉकर में छात्रों की डिग्री अपलोड करना भूल गया। दो साल में महज हजार छात्रों की ही डिग्रियां अपलोड हो सकी हैं। वर्ष 2019 में 70 फीसदी से अधिक स्नातक पार्ट- श्री के छात्रों का परीक्षा फॉर्म भराते वक्त नैड आईडी नंबर लिया गया था।
साथ ही डिग्री के लिए अप्लाई के दौरान भी छात्रों से बैंड आईडी नंबर लिया जाता है। इसके माध्यम से विधि को छात्रों की मार्क्सशीट, सर्टिफिकेट वडिग्री नैड की वेबसाइट पर अपलोड करना था।
उक्त व्यवस्था से छात्रों की समस्या काफी हद तक कम हो जाती है। छात्र अपनी डिग्री की कॉपी यहीं से डाउनलोड कर लेते। इसको लेकर अब यूजीसी ने विश्वविद्यालय को निर्देश जारी किया है। यूजीसी ने नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी को एक्टिव बनाने के लिए सेल और समन्वयक बना इसे बेहतर तरीके से चलाने को कहा है। ताकि छात्रों को इससे सुविधा मिल जाए।
यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को नैड सेल का गठन कर उसके बेहतर कार्यान्वयन का निर्देश दिया है। बैंड के लिए नोडल अधिकारी की भी नियुक्ति करनी है। इसको लेकर छात्रों में जागरूकता भी लानी है। ताकि अधिक से अधिक छात्र नेड में अपना रजिस्ट्रेशन करें।
बैंड की वेबसाइट पर छात्रों की मार्क्सशीट से लेकर तमाम तरह के सर्टिफिकेट अपलोड रहते हैं। बीआरएबीयू को भी यह व्यवस्था कायम करनी है। यहां से छात्र जरूरत के समय कहीं से भी अपनी डिग्री डाउनलोड कर सकते हैं। अब भी डिग्री के लिए छात्र कॉलेज से लेकर बिबि तक का चक्कर लगाते हैं। डिजी लॉकर अपडेट रहने पर वे अनावश्यक की भागदौड़ से बच सकेंगे। छात्रों की डिग्री का बेरिफिकेशन भी आसान हो जाएगा।
यूजीसी गंभीर
• डिजी लॉकर में छात्रों के सभी प्रमाणपत्र करना था अपलोड
• दो साल में अबतक एक हजार छात्रों का ही डिग्री हुआ अपलोड