UGC Guidelines :अंतिम वर्ष को छोड़कर बाकी सभी छात्रों को बगैर परीक्षा के ही प्रमोट ,न्यूज़ के बारे में मीडिया में गलत समाचार पर स्पष्टता

UGC दिशानिर्देशों के बारे में मीडिया में गलत समाचार पर स्पष्टता

यह हमारे संज्ञान में आया है कि कुछ प्रिंट और डिजिटल मीडिया में यूजीसी दिशानिर्देशों के बारे में एक गलत खबर प्रकाशित हुई है। यूजीसी ने पिछले साल समय-समय पर परीक्षा और शैक्षणिक कैलेंडर पर दिशानिर्देश जारी किए थे। इसके अलावा यूजीसी ने 6 मई, 2021 को पत्र लिखा था.

विश्वविद्यालयों में ऑफ़लाइन परीक्षाओं को महीने के दौरान पालन करने के लिए रखा जाता है.

मई, 2021। प्रिन्स और डिजिटल मीडिया में घूम रही खबरों के मद्देनजर, यह स्पष्ट किया गया है कि यूजीसी ने अभी तक कोई भी निर्देश जारी नहीं किया है: हाल ही में परीक्षाओं पर दिशानिर्देश और समाचार गलत है।

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कोरोना संक्रमण की नई लहर से देशभर में मचे हाहाकार के बीच विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने फिलहाल परीक्षाओं से जुड़ा फैसला विश्वविद्यालयों पर छोड़ दिया है। वे स्थानीय परिस्थितियों को देखते हुए परीक्षाएं कराने या फिर छात्रों को सीधे प्रमोट करने का फैसला ले सकेंगे।

UGC का कहना है कि कोरोना संक्रमण का प्रभाव देश के अलग-अलग हिस्सों में कम और ज्यादा है। ऐसे में परीक्षाओं को लेकर इस बार कोई स्टैंडर्ड गाइडलाइन अभी नहीं बनाई गई है। लिहाजा आयोग ने सभी विश्वविद्यालयों को पिछले साल ही परीक्षाओं और नए शैक्षणिक सत्र को लेकर तैयार की गई गाइडलाइन के आधार पर तैयारी करने को कहा है।

यूजीसी का साफ कहना है कि यदि किसी विश्वविद्यालय को कहीं कोई असुविधा होगी तो उन्हें जरूरी दिशा-निर्देश दिए जाएंगे। इस बीच, विश्वविद्यालयों ने स्नातक के पहले और दूसरे वर्ष के छात्रों को आंतरिक आकलन या फिर पिछले साल के प्रदर्शन के आधार पर अंक प्रदान करके प्रमोट करने की तैयारी शुरू कर दी है। साथ ही अंतिम वर्ष की परीक्षाएं जुलाई-अगस्त में कराने की योजना पर भी काम किया जा रहा है।

हालांकि अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को लेकर कोई भी फैसला जून के पहले हफ्ते में कोरोना संक्रमण की स्थिति की समीक्षा के बाद लिया जाएगा। यूजीसी के सचिव डा. रजनीश जैन के मुताबिक विश्वविद्यालय स्वायत्त संस्थान होते हैं। ऐसे में उन्हें परीक्षाओं और शैक्षणिक सत्र आदि को लेकर अपने स्तर पर कोई भी फैसला लेने का पूरा अधिकार है। बता दें कि पिछले साल विश्वविद्यालय की परीक्षाओं को लेकर काफी विवाद हुआ था।

कई राज्यों ने यूजीसी की अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को कराने की अनिवार्यता को चुनौती दी थी। बाद में पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया था। जिसके बाद कोर्ट ने सभी विश्वविद्यालयों को यूजीसी के निर्देशों को मानना जरूरी बताया था।

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