बीआरए बिहार विवि ने जिस एजेंसी पर पौने तीन करोड़ रुपये खर्च किए वह छात्रों को गलत एडमिट कार्ड जारी कर दे रही है। एजेंसी को वर्ष 2020 में विवि में काम मिला था। विवि से करार तीन वर्ष का है । एजेंसी को टीआर बाइंडिंग से लेकर डाटा जेनरेशन व एडमिट कार्ड जारी करने का काम दिया गया है। प्रति छात्र 213.25 रुपये का भुगतान होना है।
छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है
इस बार स्नातक पार्ट वन की परीक्षा को जो गलत एडमिट कार्ड जारी हुआ वह इसी एजेंसी ने जारी किया था। मोटी राशि लेने के बावजूद एजेंसी लगातार छात्रों के भविष्य से
खिलवाड़ कर रहा है। वहीं, विवि के अधिकारी एजेंसी पर ठीकरा फोड़ व जांच की कर अपना पल्ला झाड़ ले रहा है। मामले में बिहार विवि के रजिस्ट्रार प्रो. राम कृष्ण ठाकुर का कहना है कि इसकी जांच के बाद दोषी पाए जाने पर एजेंसी पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
टीआर का काम भी अब तक पूरा नहीं :
एजेंसी को खराब हो गए सारे टेबुलेशन रजिस्टर को बाइंडिंग कर ठीक करना है, लेकिन यह काम एक वर्ष बाद भी आधे से अधिक बाकी है। एजेंसी को गोपनीय तरीके से काम करने के लिए विवि का दूरस्थ शिक्षा निदेशालय का भवन दिया गया है। एजेंसी के बारे में बताया जा रहा है कि यह उत्तर प्रदेश की है। विवि ने टेंडर के बाद इसे ठेका दिया है। ।
चुनाव में फंसी एक और तीन अक्टूबर की रद्द परीक्षा
स्थगित की गयी एक और तीन अक्टूबर की परीक्षा पंचायत चुनाव में फंस गयी है। परीक्षा विभाग अब चुनाव के गैप में इसे कराने की सोच रहा है। परीक्षा विभाग से जुड़े लोगों ने | बताया कि इस बीच सारे एडमिट कार्ड भी ठीक हो जाएंगे। इसके बाद छात्रों की दो तिथि की परीक्षा ली जाएगी। पार्ट वन की परीक्षा चार अक्टूबर से पुराने रूटीन से होगी।
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