बिहार यूनिवर्सिटी में भी काम कर रही संदिग्ध एजेंसी,अब तक पांच करोड़ रुपये का भुगतान, यहाँ पढ़े पूरी ख़बर

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निगरानी की कार्रवाई की जद में आयी मगध विवि की संदिग्ध एजेंसी बिहार यूनिवर्सिटी में भी काम कर रही है। यहां इस एजेंसी को प्रिंटिंग से लेकर पुराने टेबुलेशन रजिस्टर (टीआर) को ठीक करने की जिम्मेदारी दी गई है। एजेंसी से परीक्षा में भी काम करवाया जा रहा है। एजेंसी विवि की सुरक्षा फीचर युक्त डिग्री भी बना रही है।

अब तक पांच करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका

बिहार यूनिवर्सिटी में पिछले एक वर्ष से यह एजेंसी काम कर रही है। निगरानी ने मगध यूनिवर्सिटी के कुलपति, पीए और इस एजेंसी का नाम भी कार्रवाई की लिस्ट में रखा है। काम के एवज में इस एजेंसी को अब तक पांच करोड़ रुपये का भुगतान बिहार यूनिवर्सिटी की ओर से किया जा चुका है।

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बिहार यूनिवर्सिटी में भी एजेंसी का काम करना चर्चा का विषय बना हुआ

कंपनी और बिहार यूनिवर्सिटी के बीच 27 अगस्त 2020 को करार किया गया था। करार के दौरान कंपनी के साथ शर्त रखी गयी थी कि वह गुणवत्ता पूर्ण काम करेगी और तय समय में काम करके देगी। मगध यूनिवर्सिटी के कुलपति के यहां निगरानी की छापेमारी के बाद बिहार यूनिवर्सिटी में भी एजेंसी का काम करना चर्चा का विषय बना हुआ है। विवि से जुड़े लोगों का कहना है कि एजेंसी जब वहां दागदार हो गयी है तो यहां कैसे काम कर रही है।

कुलपति ने कहा

बिहार यूनिवर्सिटी में काम करने वाली एजेंसी के कार्य में अगर कोई गलती पायी गयी तो उस पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी। विवि प्रशासन इस दिशा में कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा।

-प्रो. हनुमान प्रसाद पांडेय, कुलपति, (बिहार यूनिवर्सिटी)

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