बीआरए बिहार विवि में थ्योरी की पढ़ाई, प्रैक्टिकल मुंबई में

परेशानी: बिना फिश के फिशरीज की पढ़ाई कर रहे बिहार विवि के छात्र

बीआरए विहार विवि के फिशरीज के छात्र थ्योरी तो मुजफ्फरपुर में पढ़ते हैं, लेकिन प्रैक्टिकल करने उन्हें मुंबई जाना पड़ता है. प्रैक्टिकल के लिए विवि में प्रोसेसिंग यूनिट नहीं है. फिशरीज की पढ़ाई आरडीएस कॉलेज और पीजी जूलॉजी विभाग में होती है. बीआरए बिहार

आरडीएस कॉलेज में स्नातक स्तर की पढ़ाई होती है और जूलॉजी विभाग में पीजी स्तर की. दोनों जगह छात्रों के प्रैक्टिकल के लिए प्रोसेसिंग यूनिट नहीं है. इसलिए प्रैक्टिकल और जॉब ट्रेनिंग के लिए हर वर्ष छात्रों को मुंबई, कोलकाता और ओडिसा जाना पड़ता है. इस ट्रेनिंग का खर्चा भी छात्र खुद ही उठाते हैं.

विवि या कॉलेज की ओर से उन्हें कोई राशि नहीं दी जाती है. फिशरीज पढ़ने वाले छात्रों को यूजी में हर वर्ष 13 हजार और पीजी में 22 हजार रुपये लगते है. बीआरए बिहार

पांच वर्ष पहले विवि को भेजा गया था पोरोसिंग यानिटका प्रस्ताव

फिश एंड फिशरीज पढ़ाने वाली शिक्षक डॉ ममता ने बताया कि उन्होंने पांच वर्ष पहले ही विवि और

सरकार को प्रोसेसिंग यूनिट खोलने का प्रस्ताव भेजा था. प्रोसेसिंग यूनिट खोलने में 50 लाख का खर्च था,

लेकिन इस पर कोई कदम नहीं उठाया गया.

अगर यहां प्रोसेसिंग यूनिट खुल जाती, तो छात्रों को प्रैक्टिकल करने के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता. इसके

अलावा छात्रों को वहां रोजगार की भी संभावना जगती.

जलॉजी विभाग के तालाब में गंदगी, मछली नहीं : पीजी जूलॉजी विभाग में फिशरीज के छात्रों के लिए

एक तालाब है, लेकिन यहां मछली नहीं है. हालांकि कुछ कर्मचारियों का कहना है कि तालाब में कवई

मछली है. इसी पर छात्र प्रैक्टिकल करते हैं.

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यूजी में 40 वपीजी में 30 सीटों पर होता है दाखिला फिशरीज कोर्स में स्नातक स्तर में 40 और पीजी में 30 सीटों पर हर वर्ष दाखिला होता है. क्लिक करे

वर्ष 2015 में तालाब को ठीक करने के लिए विवि से साढ़े तीन लाख रुपये मिले थे, लेकिन खर्च एक पैसा

भी नहीं हुआ. तालाव के पास हो फिश सीड के लिए टैंक बना था, जो अब खराब हो चुका है,

यूजी में 40 वपीजी में 30 सीटों पर होता है दाखिला फिशरीज कोर्स में स्नातक स्तर में 40 और पीजी में

30 सीटों पर हर वर्ष दाखिला होता है. आरडीएस कॉलेज में 1996 से फिशरिज

की पढ़ाई हो रही है और पीजी में वर्ष 2009 से. विवि के छात्र फिशरीज में एमएससी तो कर लेते हैं,

लेकिन पीएचडी करने वह बाहर के विवि जाते हैं. विवि में पीएचडी में फिशरीज का कोर्स नहीं है, फिशरीज

कोर्स में एकमात्र ही नियमित शिक्षक हैं,

बाकी रिसोर्स पर्सन से काम चलाया जाता है, मीन मित्र बनकर मत्स्य उत्पादन की जानकारी देरहे छात्र

विवि से फिशरीज की पढ़ाई करनेवाले कई छात्र प्रखंडों में मीन मित्र बनकर मत्स्य उत्पादन बेहतर करने के

उपाय लोगों को बता रहे हैं.

डॉ ममता ने बताया कि फिशरीज की पढ़ाई करने वाला एक छात्र आंध्र प्रदेश में शार्क मछली पर रिसर्च

कर रहा है. विभाग की एक छात्रा एक्वेरियम के व्यावसासिक महत्व पर रिसर्च कर रही है. क्लिक करे

फिशरीज के छात्रों को क्या समस्या है, इसकी पड़ताल की जाएगी. प्रोसेसिंग यूनिट खोलने के लिए

प्रस्ताव बनाया जायेगा और इसे सरकार को भेजा जायेगा.जल्द ही इसपर काम शुरू होगा. पो राम

कृष्ण ठाकुर, रजिस्ट्रार, बीआरए बिहार विवि