स्नातक का मूल अंकपत्र के कारण दो सौ से अधिक छात्रों नामांकन रुक गया है। इस कारण छात्रों को बिना नामांकन पीजी विभागों से लौटा दिया गया है। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की ओर से पीजी में नामांकन के लिए जारी मेरिट लिस्ट में नाम आने के बाद भी ये छात्र दाखिला नहीं ले पा रहे हैं।
सोमवार को 60 किलोमीटर का सफर तय कर सीतामढ़ी से आने वाले छात्र-छात्राओं को पोजी विभागों से बना नामांकन के लौटना पड़ा। इसकी शिकायत छात्र-छात्राएं विवि अधिकारियों के पास पहुंचे। वहीं, कई कॉलेजों में भी यही हाल रहा। दरअसल, तीन महीना पहले पीजी में नामांकन के लिए आवेदन करने को अब पोर्टल खोला गया था।
तब स्नातक का मूल अंकपत्र कॉलेजों में नहीं भेजा गया था। विवि की ओर से जारी किए गए ऑनलाइन अंकपत्र के आधार पर छात्र ने फॉर्म भरा पिछले महीने विवि परीक्षा विभाग की ओर से कॉलेजों को स्नातक का मूल अंकपत्र भेजने की प्रक्रिया शुरू हुई लेकिन सभी छात्रों का अंकपत्र कॉलेजों में नहीं जा सका।
हालांकि, स्नातक पार्टी का रिजल्ट जारी हुए तीन महीने का समय हो चुका है। विवि की ओर से पिछले सप्ताह पीजो नामांकन के लिए जारी किये गये मेरिट लिस्ट में मूल अंकपत्र व सीएलसी को जांच के बाद ही नामांकन लेने का निर्देश जारी किया था। अब मूल न होने के कारण छात्रों का नामांकन नहीं हो पा रहा। पिछले तीन-चार दिनों से छात्र लौट रहे हैं। सोमवार ऐसे काफी छात्रों को पीजी विभागों से लौटा गया। कहा गया कि मूल अंकपत्र व सीएलसी रहने पर ही नामांकन होगा।
इसके बाद छात्र विधि के डब्ल्यू कार्यालय पहुंचे।
डीएसडब्ल्यू डॉ. अभय कुमार सिंह से छात्रों ने नामांकन न होने पाने की बात कहीं। इसके बाद डीएसडब्ल्यू ने परीक्षा नियंत्रक डॉ. संजय कुमार से अंकपत्र ..वितरण को लेकर बात की। उन्होंने 25 जुलाई तक सभी छात्रों का अंकपत्र कॉलेजों में भेजने की बात कही। उन्होंने बताया कि पहली मेधा सूची के आधार पर सात जुलाई तक नामांकन होना है।
नामांकन की तिथि कुछ चढ़ाई जा सकती है। साथ ही मूल अंकपत्र न होने पर 20 दिन के लिए अंकडटेकिंग के साथ नामांकन पर विचार किया जा रहा है।
नामांकन नहीं होने पर छात्र शिकायत लेकर पहुंचे डीएसडब्ल्यू के पास , परीक्षा नियंत्रक ने 25 जुलाई तक अंकपत्र भेजने की बात कही
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