बिहार यूनिवर्सिटी तमाम दावों के बाद भी अब तक अपना शैक्षणिक सत्र नियमित नहीं कर सका। यूनिवर्सिटी का पीजी का सत्र एक वर्ष विलंब से संचालित है। दो दिनों में 2021 के बाद 2022 आएगा, लेकिन अभी यहां पीजी कोर्स में शैक्षणिक सत्र 2020-22 का ही संचालन किया जा रहा है। इस वर्ष भी इसी सत्र में नामांकन हुआ है। बाकी विवि में पीजी का सत्र नियमित हो चुका है।
टीडीसी पार्ट वन (स्नातक) में नामांकन लेने वाले 1.20 लाख स्टूडेंट्स की भी परीक्षा अटकी, इससे वह आगे की पढ़ाई को लेकर तनाव में
सत्र 2021-23 में नामांकन हुआ है या आखिरी चरण में है। दूसरी ओर, पिछले वर्ष यानी 2020 में टीडीसी पार्ट वन (स्नातक) में नामांकन लेने वाले 1.20 लाख स्टूडेंट्स की भी अब तक परीक्षा नहीं हो सकी विधि की ओर से जीरो सेशन बचाने के लिए आनन-फानन में सत्र 2018-21 सत्र के पार्ट थर्ड के स्टूडेंट्स की परीक्षा कराई जा रही है। दूसरी ओर, अब भी पीजी के विभिन्न सेमेस्टर की परीक्षाएं लंबित हैं। छात्र रंजीत ने बताया, यूजी से लेकर पीजी तक का सत्र विलंब है। नामांकन हो गया है तो परीक्षाएं नहीं हो रही हैं।
परीक्षा – सत्र अपडेट करने संबंधी यूजीसी का निर्देश भी बेअसर
UGC ने सभी विवि को शैक्षणिक सत्र नियमित करने संबंधी निर्देश दिया था। इसमें सितंबर तक सभी बाकी परीक्षाओं के संचालन समेत रिजल्ट जारी करना था। नामांकन की प्रक्रिया को भी 30 सितंबर तक समाप्त कर एक अक्टूबर से नए सत्र की कक्षाओं का संचालन करना था। बावजूद इसके विवि में यह लागू नहीं किया जा सका। अभी तक विवि में पिछली परीक्षाएं ही चल रही है।
गलत पैटर्न पर कॉपी जांचने से 9 महीने में जारी होता है परिणाम
यूनिवर्सिटी में हुई परीक्षा का रिजल्ट जारी करने में 9 महीने से अधिक का समय लग जाता है। पीजी के सेकंड थर्ड सेमेस्टर की परीक्षा मार्च में हुई थी। 9 माह बाद इसका रिजल्ट विवि ने जारी किया। इसका कारण यह था कि यहां पीजी कोर्स में 70 अंकों की थ्योरी और 30 अंकों के प्रैक्टिकल की पढ़ाई होती है, लेकिन शिक्षकों ने ओल्ड सिलेबस के आधार पर मार्क्स दे दिए। इस कारण दोबारा रिव्यू कराते हुए रिजल्ट जारी हुआ।
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