BRABU : बिहार यूनिवर्सिटी में स्नातक और पीजी के ही नहीं पीएचडी का सत्र भी बेपटरी है। विवि में शोध का काम दो वर्ष देर से चल रहा है। वर्ष 2019 में पैट पास छात्रों की सिनॉप्सिस वर्ष 2021 में पास हुई है। पीएचडी में रजिस्टर्ड होने के बाद भी छात्र सिनॉप्सिस पास होने के इंतजार में थे।
2021 के पैट के लिए चल रही आवेदन की प्रक्रिया
वर्ष 2019 के अलावा 2020 का पैट भी दो वर्ष देर है । पैट 2020 की परीक्षा पिछले वर्ष सितंबर में हुई थी । उसका अंतिम रिजल्ट जनवरी 2022 में आया, अब उसकी इंटरव्यू की प्रक्रिया चल रही है। इस महीने के अंत में मेधा सूची जारी होने की उम्मीद है। बिहार विवि पैट 2021 के लिए भी आवेदन ले रहा है, लेकिन इसकी परीक्षा कब होगी इसकी जानकारी नहीं है।
19 का रिसर्च बीते वर्ष शुरू 20 का चल रहा इंटरव्यू
पैट का सत्र देर होने से जो शोध पांच वर्षों में खत्म जाना चाहिए था, उसे पूरा होने में अब सात वर्ष का समय लगेगा। वर्ष 2019 में पैट में निबंधित होने के बाद छात्रों का कोर्स वर्क वर्ष 2020 के सितंबर में शुरू हुआ। इसके बाद वर्ष 2021 के अप्रैल में इसकी परीक्षा हुई।
परीक्षा के बाद छात्र पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च काउंसिल की बैठक का इंतजार करते रहे। विवि इसे नहीं करा रहा था। पिछले वर्ष अगस्त महीने में छात्रों की पीजीआरसी हुई जिसमें शोध करने वाले छात्रों के सिनॉप्सिस पास हुए। 2020 में पैट पास करने वाले छात्रों ने बताया कि उनका अभी इंटरव्यू ही चल रहा है।
पैट 2021 के आवेदन पूरा होने के बाद इसकी परीक्षा लेने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी
उसके बाद मेधा सूची जारी होगी। इसके बाद कोर्स वर्क शुरू होगा। यह सब होते यह वर्ष भी खत्म हो जाएगा। पीएचडी करने में भी हमें ज्यादा वक्त लगेगा। विवि के सिंडिकेट के सदस्य धनंजय कुमार सिंह ने बताया कि विवि की लापरवाही से हर वर्ष छात्रों का समय बर्बाद होता है।
इस पर अंकुश लगाने के लिए विवि ने कोई कदम नहीं उठाता है। हालांकि, बिहार विवि के रजिस्ट्रार प्रो. राम कृष्ण ठाकुर का कहना है कि पैट 2021 के आवेदन पूरा होने के बाद इसकी परीक्षा लेने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी ।
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