लाखों के लैब के सामान और बेंच डेस्क की खरीदारी से पहले स्कूलों ने कमेटी की बैठक तक नहीं की। यहीं नहीं, यह सामान कहां से और कैसे खरीदे गए, इसके भुगतान का भी सबूत स्कूलों के पास नहीं है। तीन साल पहले हाईस्कूलों में लैब के सामान और बेंच-डेस्क की खरीदारी को लेकर मिले करोड़ों रुपये के घालमेल का मामला खुलने लगा है। इसमें स्कूल प्रभारियों के साथ अधिकारियों की भी गर्दन फंस नजर आ रही है।
जिले के 82 स्कूलों में सवा तीन करोड़ की वित्तीय अनियमितता की जांच शुरू कर दी गई है किसकी अनुमति से और कैसे खरीदा गया बेंच-डेस्क और लैब का करोड़ों का सामान, इसे लेकर महालेखाकार ने सवाल उठाया है। सवा तीन करोड़ की राशि के हिसाब पर आपत्ति करते हुए उन्होंने इसे लौटा दिया है।
51 स्कूल ने नहीं दिया लेब कातो 31 स्कूल ने नहीं दिया बेंच-डेस्क की राशि का हिसाबः डीईओ अब्दुस सलाम अंसारी और डीपीओ लेखा- योजना प्यारे मोहन तिवारी ने कहा कि खरीदारी से पहले कमेटी का गठन और बैठक करनी थी।
27और 28 जुलाई को कागजात के साथ हिसाब देने के लिए लगेगा कैप
इसमें एक अभिभावक को भी शामिल करना था, लेकिन कई स्कूल इससे संबंधित कागजात नहीं दे पाए हैं 51 स्कूल ने लैब तो 31 स्कूल ने बेंच-डेस्क से संबंधित सामान का हिसाब इस कार्रवाई के तहत नहीं दिया है।
डीपीओ लेखा योजना ने ने कहा कि स्कूलों को एक मौका दिया गया है। 27 और 28 जुलाई को कैम्प लगाया गया है। इसमें अगर संबंधित कागजात के साथ नहीं हिसाब दिया गया तो निलंबन की कार्रवाई होगी।
तीसरी बार लौटाया गया हिसाब, निलंबन की गिर सकती है गाज
यह पहली बार नहीं है बल्कि लैब और उपस्कर के सामान की खरीदारी में करोड़ के हिसाव पर तीसरी बार आपत्ति जताते हुए कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया गया है। इसमें निलंबन का भी निर्देश दिया गया है। जिले के 82 स्कूल ऐसे हैं जो अब तक खरीदारी से पहले कमेटी के गठन और मोड ऑफ पेमेन्ट का सबूत नहीं दे पाए हैं। निलंबन के आदेश के बाद अधिकारियों ने स्कूल प्रभारियों को अल्टीमेटम दिया है।
उठे सवाल
● राशि का हिसाब नहीं देने पर महालेखाकार ने जताई आपत्ति
• स्कूल नहीं दे पाए पहले कमेटी के गठन व पेमेन्ट का सबूत
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