बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के विभिन्न पीजी विभागों में टेक्नीशियन नहीं है। इनके बिना ही प्रायोगिक कक्षाओं का संचालन हो रहा है। इससे कई विभागों में शोध और प्रायोगिक कक्षाओं के लिए खरीदी गई मशीनें धूल फांक रही हैं। उनके मटनेंस के लिए भी विभागों के पास राशि नहीं है। सरकार की ओर से शोधपरक शिक्षा देने के लिए कहा जा रहा है। इसमें कर्मियों की कमी और फंड नहीं होना बाधक बन रहा है।
साइस संकाय में प्रयोगिक कक्षाओं का नियमित संचालन नहीं
पीजी विभागाध्यक्षों का कहना है कि करीब चार-पांच वर्षों से विवि की ओर से कंदोजेंसी नहीं दी जा रही है। पीजी में नामांकित छात्र-छात्राओं की भी राशि विवि ही लेता है। ऐसे में विभागों के पास फंड नहीं है कि वे मशीनों का संचालन करें। इसका असर प्रायोगिक कक्षाओं पर भी पड़ रहा है। साइस संकाय में प्रयोगिक कक्षाओं का नियमित संचालन नहीं होने से विद्यार्थियों की जानकारी नहीं मिल पा रही है। रसायनशास्त्र को प्रयोगशाला में कैमिकल व अन्य उपकरणों का अभाव है।
कोई टेक्नीशियन नहीं
बाटनी में लैब को संचालित करने के लिए कोई टेक्नीशियन नहीं है। एलएस कालेज, आरडीएस कालेज, एमडीडीएम कालेज जैसे संस्थानों में भी टेक्नीशियन के बिना ही प्रायोगिक कक्षाएं चल रही है। कुछ संस्थानों की ओर से लैब संचालन के लिए दैनिक वेतनभोगियों को रखा गया है।
छात्रों का कहना है कि लैब में न केमिकल होता है न उपकरण
साइंस संकाय के छात्रों का कहना है कि लैब में न केमिकल होता है न उपकरण हैं। कोई बताने वाला भी नहीं है। विवि के साईस संकाय भौतिकी, रसायनशास्त्र, बाटनी जूलाजी, गणित, इलेक्ट्रानिक्स में से किसी में एक भी टेक्नीशियन या डेमोस्ट्रेटर नहीं है।
बिहार यूनिवर्सिटी मे पीजी विभागों को शीघ्र मिलेंगे कंटीजेंसी के 10 हजार
कुलपति प्रो हनुमान प्रसाद पांडेय ने बताया कि सभी पीजी विभागों को 10-10 हजार रुपये कटीजेंसी दिया जाना है। सिडिकेट और सीनेट की बैठक में इसपर सहमति बन गई थी। एक सप्ताह पूर्व वित्त समिति की बैठक में इसे स्वीकृति मिल गई है। इस राशि से विभाग स्टेशनरी, लैब सधी व अन्य जरूरी सामग्री की खरीदारी करेंगे। इस राशि के समाप्त हो जाने पर सभी को बिल जमा करना होगा। इसके बाद अगली किस्त भी दी जाएगी। राशि शीघ्र विभागों को दी जाएगी।
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