बिहार यूनिवर्सिटी में फर्जीवाड़ा: जांच हुई तो खुलेगा बड़े रैकेट का राज

बीआरए बिहार विवि में कागजात में हेराफेरी कर सेवा अवधि बढ़ाने के मामले की जांच हुई, तो बड़े रैकेट का राज खुल सकता है, वैसे तो अभी छह कर्मचारियों का मामला ही सामने आया है, लेकिन जांच में उन्हें संरक्षण देने और कागजात बदलने में सहयोग करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम भी सामने आ सकते हैं.

कई दिनों से इस बात की सुगबुगाहट चल रही

ऐसे में निशाने पर दोषी कर्मियों के अलावा अन्य लोग भी हैं. विवि के अंदरखाने में कई दिनों से इस बात की सुगबुगाहट चल रही थी, लेकिन सोमवार को मामला खुलने के बाद हलचल की स्थिति थी. देर शाम तक आधिकारिक तौर पर किसी तरह की जांच या कार्रवाई का आदेश नहीं हो सका.

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हालांकि कुलपति प्रो हनुमान प्रसाद पांडेय ने कहा है कि मामला सही पाये जाने पर दोषी कर्मचारी को सेवामुक्त करते हुए आवश्यक कार्रवाई की जायेगी.

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फार्मेसी की मान्यता पर खतरा

एमआईटी के फार्मेसी विभाग के छात्रों ने सोमवार को कॉलेज में प्रदर्शन किया। छात्रों का कहना था कि फार्मेसी विभाग में शिक्षक नहीं हैं, इसलिए फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया कभी भी इसकी मान्यता रद्द कर सकती है।

छात्र छतीस कुमार समेत अन्य ने बताया कि फार्मेसी विभाग में सीट बढ़ाकर 60 कर दी गयी है लेकिन शिक्षक नहीं आये। पांच अतिथि शिक्षकों से ही काम चलाया जा रहा है। पहले फार्मेसी में 15 ही सीटें होती थीं।

शिक्षकों की कमी पर फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने कड़ा एतराज जताया है। काउंसिल ने पहले ही एमआइटी को तीन महीने का वक्त दिया था ताकि वह शिक्षकों की नियुक्ति कर सके

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