BRABU : बिहार यूनिवर्सिटी के डिग्री कॉलेजों में एक बार फिर बगैर मान्यता के ही स्टूडेंट्स का नामांकन करने का मामला सामना आया है। शैक्षणिक सत्र 2020-23 के तहत दर्जन भर कॉलेजों ने बिना मान्यता मिले ही विभिन्न विषयों में करीब 10 हजार स्टूडेंट्स का एडमिशन ले लिया है। कॉलेज संचालक जब इन नामांकित स्टूडेंट्स का रजिस्ट्रेशन कराने विवि में पैरवी करने पहुंचे तो मामला खुला।
जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
कॉलेज संचालक गुपचुप तरीके से इन स्टूडेंट्स का रजिस्ट्रेशन कराते हुए कॉलेज में का नाम पोर्टल पर जोड़ने के फिराक में थे। इसके बगैर इन स्टूडेंट्स का परीक्षा फॉर्म नहीं भरा जा सकता है। जब कॉलेजों ने इसके लिए यूएमआईएस विभाग के संपर्क किया तो प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया। बताया जा रहा है कि ये कॉलेज मुजफ्फरपुर समेत आसपास के जिलों में संचालित हैं। वीसी प्रो. हनुमान प्रसाद पांडेय ने बताया कि बगैर मान्यता के कॉलेजों में नामांकन का मामला फिर सामने आया है। इसकी जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
सत्र 2019-22 में ऐसे ही मामले में कार्रवाई के नाम पर हुए तबादले
शैक्षणिक सत्र 2019-22 में भी ठीक इसी तरह का मामला विवि में सामने आया था। 20 कॉलेजों ने बगैर मान्यता प्राप्त हुए ही करीब 25 हजार स्टूडेंट्स का नामांकन कर लिया था। मामला पकड़ में आने के बाद बीसी ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी। इसमें प्रोवीसी, तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक और इंस्पेक्टर ऑफ कॉलेजेज आर्ट्स को शामिल किया गया था। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में मामले को लेकर राज्य सरकार से मंतव्य लेने पर सहमति जताते हुए दोषियों पर कार्रवाई की बात कही थी। जिसके बाद विवि प्रशासन ने कार्रवाई के नाम पर कुछ कर्मचारियों के तबादले कर दिए। माना जा रहा है कि उस वक्त दोषियों पर कार्रवाई गई होती तो ऐसा मामला फिर से प्रकाश में नहीं आता।
2021 तक मान्यता वाले कॉलेज का नाम हटेगा
शैक्षणिक सत्र 2022-25 में यूजी में नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 2021 तक ही नामांकन की मान्यता वाले करीब दर्जन भर कॉलेजों के नाम पोर्टल से हटेंगे। नए सत्र में नामांकन के लिए संबद्धता की पात्रता वे नहीं रखते हैं।
राजभवन को लिखा जायेगा पत्र
जिन कॉलेजों ने बिना मान्यता के नामांकन लिया है, उनके खिलाफ सख्त कारवाई करते हुए राजभवन को लिखा जायेगा पिछली बार भी इसी तरह का मामला सामने आया था. अब इस बार परीक्षा फॉर्म नहीं भरवाया जायेगा. जब मान्यता नहीं थी और नामांकन की प्रक्रिया विश्व स्तर पर हुई, तो कॉलेजों को अपने से नामांकन नहीं लेना चाहिए था.. (डॉ हनुमान प्रसाद पांडेय, कुलपति, बीआरए बिहार यूनिवर्सिटी)
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