बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की ओर से स्नातक पार्ट-वन के छात्रों की परीक्षा ऑब्जेक्टिव सवालों के आधार लिए जाने का संबंद्ध कॉलेजों ने खुलकर विरोध करना शुरू कर दिया है।
बिहार राज्य संबद्ध डिग्री महाविद्यालय महासंघ के बैनर तले एक दर्जन से अधिक शिक्षकों ने विश्वविद्यालय में जमकर विरोध प्रदर्शन किया। ऑब्जेटिक्व व ओएमआर शीट से परीक्षा के फैसले को वापस लेने की मांग की। इसके बाद महासंघ का प्रतिनिधिमंडल परीक्षा नियंत्रक डॉ. संजय कुमार से मिलकर ज्ञापन सौंपा।
महासंघ के संयोजक डॉ. धर्मेन्द्र कुमार चौधरी ने कहा कि कोरोना से संक्रमित होने में डेढ़ घंटा या तीन घंटा मायने नहीं रखता। वर्ष 2020 की परीक्षा में विलंब को लेकर आरोप भी लगाये। कहा कि यह टेक्निकल या प्रवेश परीक्षा नहीं है। इससे मानसिक व बौद्धिक रूप से छात्र तैयार नहीं है। शिक्षकों का कहना था कि संबद्ध कॉलेज को छात्रों की उत्तीर्णता के आधार पर अनुदान मिलता है।
इस प्रणाली से परीक्षा के रिजल्ट पर अस पड़ सकता है। इससे अनुदान पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। शिक्षकों ने कहा कि वर्षों तक अनुदान नहीं मिलने के कारण परीक्षा और कॉपियों की जांच कर पारिश्रिमक मिल जाता है। इससे उनके ऊपर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
इसके पहले महासंघ ने वर्चुअल बैठक की। इसके बाद विवि में प्रदर्शन किया। मौके पर संत ज्ञानेश्वर प्रसाद सिंह, नवल किशोर सिंह, सुनील कुमार, राकेश मिश्रा, मनोज कुमार सिंह, ओम प्रकाश सिंह, अनिता कुमारी, रीता श्रीवास्तव, अरुण कुमार, प्रमोद कुमार श्रीवास्तव, पीके शाही, घनध्याम ठाकुर, शैलेन्द्र चौधरी, अनिता रंजन आदि थे।
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