सौ रुपये की डिग्री के लिए बी आरए बिहार विश्वविद्यालय से पास छात्रों को दो हजार रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं। डिग्री के ने के अपडेट न होने के कारण छात्रों के रुपये के साथ समय की बर्बाद हो रही है। पास होने के बाद भी छात्र तमाम कार्य छोड़कर कॉलेज से विवि तक का चक्कर लगा रहे है। मुजफ्फरपुर ही नहीं बेतिया सीतामढ़ी, वैशाली के छात्रों को डिग्री के लिए एक-दो नहीं बल्कि चार से पांच बार चक्कर लगाना पड़ रहा है।
वर्ष 2015 में एमजेके कॉलेज बेतिया से इतिहास ऑनर्स से पास अजय कुमार शुक्रवार को विवि पहुंचे। उसने बताया कि उसने डेढ़ साल पहले डिग्री लिए अप्लाई किया। तब से चार बार विधि आ चुके हैं।
बेतिया से मुजफ्फरपुर आने और जाने में ढाई हजार से अधिक रुपये खर्च हो चुके हैं। एक बार आने जाने और दिन के खाने में 700 रुपये लग जाते हैं। लगातार दौड़ने के कि उसकी डिग्री बनकर कॉलेज भेजी जा रही है। यहीं से डिग्री मिलेगी। उधर, बगहा से आने वाले छात्रों को एक बार में आने और जाने में 900 से हजार रुपये तक खर्च हो जाते हैं। शिक्षक नियोजन में डिग्री की अनिवार्यता के लिए सीतामढ़ी से पहुंची छात्रा मनीषा ने बताया वह तीसरी बार विधि आ रही है। डिग्री लेने में जितनी परेशानी हो रही है उससे कम स्नातक पास होने में लगा। कहा अबतक 15 सौ रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं।
वह अपने पिता के साथ विधि आती है। एक बार आने और जाने में पांच सौ रुपये खडिजिटल व्यवस्था मेंर्च हो जाते हैं। यहां आने पर पता चला कि डिग्री नहीं बनी है। हफ्ते भर का समय
और लगेगा। शुक्रवार को दर्जनों की संख्या में डिग्री के लिए छात्र पहुंच थे। अधिकतर ने कहा कि वह तीसरी और चौथी बार डिग्री के लिए आ रहे हैं।
डिजिटल व्यवस्था में
साल भर पहले तक डिग्री लेने के लिए छात्रों को सौ रुपये का चालान कटना पड़ता था। अब डिजिटल डिग्री होने के कारण डिग्री के लिए पांच सौ रुपये की हो गई है। इससे ऑनलाइन ही जमा करना होता है। आवेदन राशि जमा होने के बावजूद छात्रों को विदि से कॉलेज तक की दौड़ लगानी पड़ रही है।
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