बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के 18 कालेजों में सत्र 2018-21 में बिना मान्यता के ही नामांकित 25 हजार विद्यार्थियों को दूसरा कालेज आवंटित नहीं किया जा सका है। इस कारण छात्र छात्राएं परेशान हैं। विवि की ओर से तीन महीने पूर्व परीक्षा फार्म भरने की प्रक्रिया शुरू होने के दौरान मामला संज्ञान में आने के बाद इन कालेजों का नाम पोर्टल से हटा दिया गया था।
इसके बाद कुलपति के निर्देश पर बनी कमेटी ने मामले की जांच की थी। कमेटी की ओर से दो अलग अलग रिपोर्ट पेश की गई थी।
इसमें उप कुलसचिव और कालेज दोनों की ओर से गड़बड़ी होने का उल्लेख था ऐसे में दोनों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की गई, लेकिन किसी के खिलाफ अबतक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। साथ ही छात्र-छात्राओं को कालेज आवंटित नहीं किया गया है। विवि की ओर से कहा गया कि जिन अंगीभूत कालेजों में सीटें होंगी वहां विद्यार्थियों को शिफ्ट कर दिया जाएगा।
ऐसे में एक जिले के विद्यार्थी को दूसरे जिले में शिफ्ट होना पड़ेगा। रजिस्ट्रेशन पर पुराना कालेज ही दर्ज रहेगा। एडमिट कार्ड पर नए कालेज का नाम दर्ज होगा। इससे भी विद्यार्थियों के बीच उहापोह की स्थिति उत्पन्न हो गई है कि कहीं डिग्री लेने के समय फिर मामला उलझ न जाए। कुलपति प्रो. हनुमान प्रसाद पांडेय ने कहा कि विद्यार्थियों को शिफ्ट करने की प्रक्रिया चल रही है।
आफलाइन मोड में कालेजों ने ले लिया था नामांकन विवि से संबद्ध 18 डिग्री कालेजों ने करीब 25 हजार छात्रों का गलत तरीके से आफलाइन मोड में नामांकन ले लिया था। उस सत्र में विवि की ओर से आनलाइन मोड में पूरी प्रक्रिया की गई थी। विवि की ओर से बिना जांच किए सभी छात्र-छात्राओं का रजिस्ट्रेशन कर लिया गया।
परीक्षा फार्म भरने के लिए जब पोर्टल खुला तो इन कालेजों को संबंधित विषयों में नामांकन की मान्यता नहीं होने का मामला सामने आया। इसके बाद तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक ने 18 कालेजों का नाम पोर्टल से हटवा दिया। मामले की जांच हुई तो उपकुलसचिव और प्राचार्य दोनों दोषी पाए गए। इसके बाद छात्रों को दूसरे अंगीभूत कालेजों में शिफ्ट करने का निर्णय लिया गया था।
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