विपक्ष के 26 संशोधनों को खारिज करने के साथ ही बुधवार को विधानसभा बिहार अभियंत्रण विश्वविद्यालय विधेयक ध्वनिमत से पारित हो गया। उसके एक संशोधन (मुख्यमंत्री के बदले राज्यपाल को इस विवि का चांसलर बनाया जाए) पर मतदान की नौबत आई संशोधन के पक्ष में 89 और विरोध में 110 वोट पड़े।
राजद के ललित कुमार यादव और कांग्रेस के अजित शर्मा ने यह संशोधन दिया था। विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने चार बार इस संशोधन को ध्वनिमत से पारित कराने की कोशिश की हर बार विपक्ष ने मतदान की मांग की। अंत में मतदान हुआ।
राज्य के सभी सरकारी और निजी इंजीनियरिंग कालेज इसी विवि से संबद्ध
विज्ञान एवं प्रावैधिकी मंत्री सुमित कुमार ने विधेयक पेश किया। इसके जरिए राज्य में इंजीनियरिंग विवि की स्थापना का रास्ता साफ हो गया। सुमित कुमार ने कहा कि राज्य के सभी सरकारी और निजी इंजीनियरिंग कालेज इसी विवि से संबद्ध होंगे।
विधानमंडल
प्रस्ताव के पक्ष में 89 और विपक्ष में 110 वोट पड़े में
.● राज्य के पहले इंजीनियरिंग विवि की स्थापना का विधेयक पारित
● विपक्ष के सभी 26 संशोधन प्रस्ताव हुए खारिज
वास्तुकला, योजना एवं विकास और प्रबंधन कोर्स में स्नातक एवं उससे ऊपर की शिक्षा देने वाले सरकारी और निजी संस्थान भी इससे संबद्ध होंगे। इंजीनियरिंग विवि के चांसलर ( कुलाधिपति) भी राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री होंगे। यह राज्य का तीसरा विश्वविद्यालय होगा, जिस पर मुख्यमंत्री का सीधा नियंत्रण होगा। मंगलवार को पेश दो विधेयकों के जरिए दो नए विश्वविद्यालयों (स्वास्थ्य और खेल ) के चांसलर भी मुख्यमंत्री ही होंगे ।
दाखिले में महिलाओं के लिए 33 फीसद आरक्षण
मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल में हरेक जिला में एक सरकारी इंजीनियरिंग कालेज खोलने का लक्ष्य हासिल हो चुका है। निजी क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर इंजीनियरिंग कालेज खुले हैं। लिहाजा विज्ञान एवं प्रावैधिकी की शिक्षा के लिए एक अलग विश्वविद्यालय की जरूरत महसूस की जा रही थी। यह विवि मुख्यमंत्री के सात निश्चय-2 की घोषणा की पूर्ति भी है। तकनीकी शिक्षा के हरेक पाठ्यक्रम के दाखिले में महिलाओं के लिए 33 फीसद आरक्षण का प्रविधान किया गया है।
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