बीआरए बिहार विवि में दस लाख छात्रों का टेबुलेटिंग रजिस्टर (टीआर) सड़ गया है। इन रजिस्टरों को विवि के डिग्री सेक्शन में फेंक दिया गया है।
विश्वविद्यालय के डिग्री सेक्शन में सैकड़ों टीआर पूरी तरह से फटकर खराब हो गए हैं। परीक्षा विभाग का कहना है कि कई टीआर ऐसे हैं जिनको ठीक नहीं किया जा सकता है। टीआर से ही छात्रों का रिजल्ट और डिग्री तैयार होती है।
बिहार विवि के परीक्षा नियंत्रक डॉ. संजय कुमार का कहना है कि टीआर को स्कैन करने का काम किया जा रहा है। वर्ष 2018 तक के टीआर के स्कैनिंग का काम शुरू हुई है। अभी वर्ष 1992 का टीआर स्कैन हो रहा है। कई टीआर के फटने से इसमें परेशानी आ रही है। वहीं, कई छात्र प्रोविजनल से लेकर ओरिजनल सर्टिफिकेट तक के लिए परीक्षा विभाग की दौड़ लगा रहे हैं।
टीआर खोजने में जुटा परीक्षा विभाग
बिहार विवि में टीआर जैसे जरूरी दस्तावेजों की देखरेख का इंतजाम नहीं है। डिग्री सेक्शन में काफी संख्या में टीआर फेंके हुए हैं। कई टीआर ऐसे भी हैं, जिनके पन्ने चूहे कुतर चुके हैं। विवि से जुड़े कुछ लोगों ने बताया कि कई टीआर तो ऐसे हैं जो गायब हो चुके हैं, उन्हें परीक्षा विभाग खोज रहा है।
डिग्री तैयार करने में परेशानी
• विवि के डिग्री सेक्शन में सैकड़ों टेबुलेटिंग रजिस्टर हुए खराब
• फटे हुए टेबुलेटिंग रजिस्टर से विवि खोज रहा है तीन दशक पुराना रिजल्ट
विभाग फटे हुए टी आर से 27 वर्ष पुराना रिजल्ट खोजा जा रहा है। विवि के डिग्री सेक्शन एक कर्मचारी ने
बताया कि वर्ष 1995 के एक छात्र ने प्रोविजनल सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया है। टीआर फट गया है,
इसलिए रिजल्ट मिलाने में जद्दोजहद करनी पड़ रही है। डिग्री सेक्शन में इस वक्त वर्ष 1994 1995 के कई छात्रों का प्रोविजनल सर्टिफिकेट तैयार किया जा रहा है, जबकि इन छात्र को अब तक ओरिजनल डिग्री मिल जानी चाहिए थी।
एक अन्य छात्र ने बताया कि उसने ओरिजनल डिग्री के लिए विश्वविद्यालय में ऑनलाइन आवेदन किया था, लेकिन यहां पर उसे बताया जा रहा है कि आवेदन पहुंचा ही नहीं है। अब फिर से ऑफलाइन मार्क्सशीट जमा करनी है। डिग्री के लिए ऑनलाइन आवेदन करने पर छात्रों को 500 रुपये जमा करने पड़ रहे हैं। इससे छात्रों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है।
ऑनलाइन आवेदन करने के बाद भी दिक्कत
ओटीएम कॉलेज से सब 2013-16 में बीए पास करने वाली प्रतिभा कुमारी प्रोविजनल सर्टिफिकेट के लिए एक वर्ष से दौड़ रही हैं। बुधवार को भी वह परीक्षा विभाग डिग्री लेने के लिए आयी थीं। उनका कहना था कि कई बार वह प्रोविजनल सर्टिफिकेट के लिए चक्कर काट चुकी है, लेकिन वह अब तक नहीं मिला है।
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