बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) की ओर से दिए गए अनुदान के एक करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए। इसके बाद तीन वर्षों से उपकरण धूल फांक रहे हैं। इस अवधि में तीन कुलपति बदले, लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। लाइब्रेरी इंचार्ज की ओर से इसे लेकर नियमित पत्राचार किया गया, पर इस दिशा में किसी ने पहल नहीं की।
लैब व कमरे को डस्ट प्रूफ नहीं बनाए जाने के कारण ई.लाइब्रेरी को शुरू नहीं किया जा सका है। इस कारण कोरोना काल में छात्र छात्राएं शोधकर्ताओं व शिक्षकों को ई.लाइब्रेरी के लाभ से वंचित होना पड़ रहा है। ऑनलाइन पढ़ाई में छात्र-छात्राओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में यह ई. लाइब्रेरी छात्रों के लिए काफी फायदेमंद हो सकता था।
एक करोड़ हुआ था खर्च, 50 कम्प्यूटर व 11 एसी किए गए थे इंस्टाल 2018 में रूसा की ओर से विश्वविद्यालय को एक करोड़ रुपये अनुदान के तौर पर दिए गए थे। इस राशि से ई-लाइब्रेरी स्थापित करना था। विश्वविद्यालय ने पूरी राशि का खर्च कर 50 कंप्यूटर और 11 एसी इंस्टॉल करवाए, लेकिन कुछ जरूरी उपकरण इंस्टॉल नहीं किए जाने के कारण ई. लाइब्रेरी शुरू नहीं हो सकी। निवर्तमान इंचार्ज प्रो. शिवानंद सिंह ने बताया कि रूसा की ओर से दी गई अनुदान की राशि से ई.लाइब्रेरी का सेटअप तैयार किया गया।
कम्प्यूटर व एसी समेत अन्य उपकरण इंस्टाल किए गए ( लोकल एरिया नेटवर्क) लैन व कमरे को डस्ट प्रूफ बनाना था। इसके साथ ही इसके देखरेख के लिए कर्मचारी की नियुक्ति की जानी थी। इसके लिए पूर्व के तीनों कुलपतियों के साथ ही वर्तमान कुलपति को भी लिखा गया। किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। ऐसे में उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया ।
कई कम्प्यूटर उठा कर ले गए। दूसरे विभाग : विश्वविद्यालय के ई लाइब्रेरी में रखे 50 कम्प्यूटर में से करीब आधा दर्जन कम्प्यूटर व अन्य उपकरण इसके शुरू होने से पूर्व ही दूसरे विभाग उठा कर ले गए। लाइब्रेरी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि वरीय अधिकारियों के संज्ञान में होने के कारण इसपर कोई कार्रवाई भी नहीं की गई। यही स्थिति रही तो ई लाइब्रेरी शुरू होने से पूर्व ही समाप्त हो जाएगी।
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