RN COLLEGE हाजीपुर के भौतिकी विभाग की ओर से बेबिनार का आयोजन : सेमीकंडक्टर माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक का हृदय है। मूल रूप से 60 प्रकार के सेमीकंडक्टर डिवाइस होते हैं। जिनमें 100 से अधिक विविधताएं होती हैं। पर, मुख्यतः 2-टर्मिनल पीएन जंक्शन डायोड ही सेमीकंडक्टर के केन्द्र में है। प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण प्रगति और लागत में कमी के कारण सेमीकंडक्टर तकनीक लगातार विकसित हो रही है और हमारे जीवन में अधिक प्रचलित हो रही है।
राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित सेमिकंडक्टर उपकरण और उनके अनुप्रयोग विषय पर बेबिनार को संबोधित करते हुए जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रोफेसर व टोयोहाशा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, जापान के विजिटिंग प्रोफेसर डॉ. पीके सिसोदिया ने कही।
आरएन कॉलेज हाजीपुर के भौतिकी विभाग की ओर से इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग
बेबिनार का आयोजन आरएन कॉलेज हाजीपुर के भौतिकी विभाग की ओर से इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग, जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के सहयोग से की गई। विशेष रूप से, सौर सेल और फोटोवोल्टिक की व्याख्या करते हुए प्रोफेसर पी के सिसोदिया ने कहा कि सेमीकंडक्टर उपकरणों द्वारा फोटॉन को अवशोषित किया जाता है।
300 साफ और धूप वाले दिनों के साथ भारत में लागत प्रभावी, स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल
पहली पीढ़ी के क्रिस्टलीय सिलिकॉन और दूसरी पीढ़ी की थीन फिल्म सौर सेल के बाद अब हम सेमीकंडक्टर पर आधारित तीसरी पीढ़ी के क्वांटम डॉट सौर सेल्स का उपयोग करने की स्थिति में हैं, जो कि लागत प्रभावी और कुशल है। हर वर्ष में 300 साफ और धूप वाले दिनों के साथ भारत में लागत प्रभावी, स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल 1 गीगावाट ऊर्जा के दोहन करने की क्षमता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भविष्य में बेहतर शोध और उन्नत सेमीकंडक्टर उपकरणों द्वारा भारत भी इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की ओर अग्रसर होगा।
संबोधन में राज नारायण महाविद्यालय के प्राचार्य
संबोधन में राज नारायण महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर रवि कुमार सिन्हा ने कहा कि भारत आयात पर निर्भर न रहे, बल्कि विदेशी मुद्रा का अर्जन भी करे, इसके लिए सेमीकंडक्टर्स के मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भरता के लिए पूंजी और लंबी अवधि के प्रौद्योगिकी-शोध- दोनो की आवश्यकता है। भारत में सेमीकंडक्टर्स और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास कार्यक्रम और इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम)’ का जिक्र करते हुए प्राचार्य ने कहा कि सरकार विज्ञान और प्रौद्योगिकी को जो महत्व देती है। उन्होंने बजट में परिलक्षित होता है।
भारत आयात पर निर्भर न रहे, बल्कि विदेशीमुद्रा का अर्जन भी करें राष्ट्रीय वेबिनार के अध्यक्षीय
केंद्रीय बजट 2022-23 में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए मात्र 14.217 करोड़ रुपये का प्रावधान है, जो सकल घरेलू उत्पाद का 0.7 प्रतिशत ही है। यह दक्षिण कोरिया के 4.6, चीन के 2.2 प्रतिशत, जापान के 3.2 प्रतिशत और संयुक्त राज्य अमेरिका के 3.1 प्रतिशत की तुलना में नगण्य है। प्राचार्य ने उम्मीद जताई कि ‘मार्क्स फॉर साइंस’ में प्रतिनिधित्व करने वाले भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा “साक्ष्य-आधारित नीति और धन सहायता के लिए भारत सरकार भी सकल घरेलू उत्पाद का कम से कम तीन प्रतिशत बजटीय एलोकेशन विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अनुसंधान के लिए करेगी।
वेबिनार में सभी शिक्षक ने अपने विचार व्यक्त किये
जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज के जन्तुविज्ञान विभाग के डॉ. सुनिल कुमार, गणित विभाग के डॉ. अजीत कुमार, आरएन कॉलेज भौतिकी विभाग के डॉ. नय्यर परवेज, डॉ. किरण कुमारी, डॉ. रोजलीन सोरेन, डॉ. प्रियंका चटर्जी, डॉ. विजय कुमार, डॉ. हरेन्द्र कुमार, बुद्धदेव गौतम, डॉ. जेपी त्रिपाठी ने अपने विचार व्यक्त किए। वेविनार में आरएन कॉलेज विज्ञान संकाय के सभी शिक्षक, बीसीए और भौतिकी स्नातकोत्तर के 100 से अधिक छात्रों ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन कॉलेज के वनस्पति विभाग के डॉ. नीतू कुमारी ने की।
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