B. Ed: राज्य के बीएड स्पेशल एजुकेशन डिग्रीधारी भी अब प्रारंभिक विद्यालयों में पहली से पांचवीं कक्षा तक के शिक्षक बन सकेंगे। नेशनल काउंसिल फोर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) ने अधिसूचना जारी कर दी है और इसे तत्काल प्रभाव से लागू करने का कहा है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार को एनसीटीई की चिट्ठी भी मिली है।
एनसीटीई ने एक शर्त भी रखा
एनसीटीई की अधिसूचना के मुताबिक इससे पहले एनसीटीई ने बीएड स्पेशल एजुकेशन डिग्रीधारियों को कक्षा छह से आठ तक शिक्षक बनने के लिए योग्य घोषित किया था। बीएड स्पेशल एजुकेशन की डिग्री भारतीय पुनर्वास परिषद (आरसीआइ) से मान्यता प्राप्त होनी चाहिए। इसके लिए एनसीटीई से मान्यता हासिल करने की कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन एनसीटीई ने एक शर्त भी रखा है।
72 हजार प्रारंभिक विद्यालयों में स्पेशल एजुकेटर्स की शिक्षक बनने का मौका
कि सरकारी विद्यालय में बहाली के छह माह के अंदर ऐसे शिक्षकों का एनसीटीई द्वारा मान्यता प्राप्त ह महीने का कार्य भी पूरा करना होगा। एनसीटीई के इस फैसले से अब राज्य के 72 हजार प्रारंभिक विद्यालयों में स्पेशल एजुकेटर्स की शिक्षक बनने का मौका मिलेगा। राज्य के सभी प्रारंभिक विद्यालयों में 2006 से ही समावेशी शिक्षा नीति लागू है। इसके अंतर्गत राज्य सरकार सामान्य एवं दिव्यांग बालकों की एक ही विद्यालय के छत के नीचे पठन-पाठन की सुविधा उपलब्ध करवा रही है ताकि दिव्यांग बालकों के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं हो सके।
नेशनल काउंसिल फोर टीचर्स एजुकेशन ने जारी की अधिसूचना तत्काल प्रभाव से लागू
आदेश
•एनसीटीई ने शिक्षा विभाग को चिट्ठी लिखी
•चहाली के छह माह के अंदर शिक्षकको
समावेशी शिक्षा का मिलेगा मौका
वर्ष 2016 से ही पूरे देश में दिव्यांग जन अधिकार अधिनियम भी पूरे देश में लागू है। एनसीटीई के इस पहल से अब द्यालयों में पठन-पाठन कर रहे 21 तरह के दिव्यांग बालक बालिकाओं को समावेशी शिक्षा ग्रहण करने का मौका मिलेगा। वे मुख्यधारा के विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे।
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