बिहार विश्वविद्यालय के स्नातक पार्ट वन-2020 की परीक्षा के रिजल्ट में सुधार के बाद भी बड़ी संख्या में ऐसी गड़बड़ी है, जिससे परीक्षा विभाग भी हैरान है। किसी छात्र के रिजल्ट में प्रैक्टिकल के अंक नहीं हैं तो किसी का कंप्यूटर में फीड डेटा से रोल नंबर ही मैच नहीं कर रहा है। यही नहीं सब्सिडियरी में सैकड़ों छात्रों के विषय ऐसे शो कर रहे हैं, जिसे छात्र ले ही नहीं सकते।
छात्र-छात्राओं की संख्या 4 हजार से अधिक है
प्रैक्टिकल के अंक जिस रोल नंबर पर कॉलेजों से विवि भेजे गए हैं, ये रोल नंबर कंप्यूटर में परीक्षार्थियों के अपलोड डेटा से मैच ही नहीं कर रहा है। विवि के अनुसार, ऐसे छात्र-छात्राओं की संख्या 4 हजार से अधिक है।
स्नातक पार्ट वन सुधार में लगा रहा परीक्षा विभाग, मिलान के लिए प्राचार्यों को भेजे रोल नंबर
पूरे दिन सुधार के प्रयास के बाद भी जब सफलता नहीं मिली तो परीक्षा नियंत्रक डॉ. संजय कुमार ने संबंधित 75 प्राचार्यों से बात कर उन्हें मेल पर ऐसे रोल नंबर भेजे हैं। उन्होंने कहा कि जिन परीक्षार्थियों के रोल नंबर मैच कर रहे हैं, उनके अंक पत्र में प्रैक्टिकल के अंक सोमवार से दिखने लगेंगे, लेकिन जिनका मैच नहीं कर रहा है, उसके बारे में प्राचार्यों से जानकारी मिलने के बाद सुधार किया जाएगा। यह तीन-चार दिनों में हो जाएगा।
लिखित परीक्षा और प्रैक्टिकल के रोल नंबर में अंतर आ रहा है
पार्ट बन की परीक्षा शुरू होने से पहले तीन-तीन बार एडमिट कार्ड जारी किए गए थे। इसमें परीक्षार्थियों के रोल नंबर और विषय तक बदल गए थे। परीक्षा विभाग का कहना है कि कई कॉलेजों ने शुरू में जारी किए एडमिट कार्ड के रोल नंबर पर प्रैक्टिकल ले लिए। इस वजह से लिखित परीक्षा और प्रैक्टिकल के रोल नंबर में अंतर आ रहा है।
रिजल्ट में कितना सुधार, छात्र के आने पर पता चलेगा
रिजल्ट में कितनी गड़बड़ी हुई और कितना सुधार हुआ? इसका अंदाजा विवि खुलने पर होगा, जब छात्र इसे ठीक कराने पहुंचेंगे। विवि ने पहली बार पूरी तरह से कम्प्यूटराइज्ड मूल्यांकन किया है। बावजूद इसके 2-2 अंक के ऑब्जेक्टिव प्रश्न में 50-60 अंक के बदले 51-61 अंक आ गए हैं। विवि का कहना है कि फॉर्मूले के कारण ऐसा हुआ। इसे सुधार लिया गया है।
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