बीआरए बिहार विवि में तीन साल बाद प्लेगरिज्म (थीसिस में साहित्यिक चोरी) लागू किया जाएगा। इसकी कवायद शुरू कर दी गई है। इसके लागू होने के बाद बीआरए बिहार विवि में भी अब शोधार्थी सेटिंग से शोध नहीं कर पाएंगे। वर्ष 2018 में ही यूजीसी ने इसे लागू किया था। थीसिस की साहित्यिक चोरी पर लगाम लगाने के लिए रेगुलेशन जारी किया गया था। बीआरएबीयू को छोड़ अधिकतर जगहों पर इसे रोकने के लिए बनाए गए सॉफ्टवेयर से काम करने की प्रक्रिया हो रही है। लेकिन, बिहार विवि में यह नहीं शुरू हो सका था।
परीक्षा बोर्ड की बैठक में डेढ़ महने में इसे लागू करने पर निर्णय
मंगलवार को विवि परीक्षा बोर्ड की बैठक में इस पर प्रस्ताव और इसे लागू करने संबंधी सभी प्रक्रिया को रखा गया। हालांकि, इसे अगली परीक्षा बोर्ड की बैठक में पूरी प्रक्रिया के साथ लाने का निर्देश कुलपति ने दिया। परीक्षा बोर्ड की बैठक में डेढ़ महने में इसे लागू करने पर निर्णय लिया गया है। अगले महीने से इसके लागू हो जाने के बाद बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में सेटिंग कर शोधपत्र तैयार कराने वालों की खैर नहीं होगी। परीक्षा नियंत्रक डॉ. संजय कुमार ने बताया कि परीक्षा बोर्ड की बैठक में पीएचडी को लेकर अहम निर्णय हुआ है। शोध की गुणवत्ता सुधारने के लिए यूजीसी ने रेगुलेशन 2018 में कई निर्देश दिए हैं।
परीक्षा बोर्ड की बैठक में पूरी प्रक्रिया के साथ लाने का निर्देश कुलपति ने दिया
स्नातक पार्ट वन परीक्षा 2020 में तैनात ऑब्जर्वरों के रेमुनरेशन भुगतान के प्रस्ताव को भी मंजूरी
इसमें मुख्य प्लेजरिज्म भी है। थीसिस की जांच में तय सीमा से अधिक समानता पाए जाने पर अलग-अलग कार्रवाई निर्धारित की गयी है। इसके अलावा बोर्ड ने स्नातक पार्ट वन परीक्षा 2020 में तैनात ऑब्जर्वरों के रेमुनरेशन भुगतान के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी। ऑब्जर्वर को पांच सौ रुपये टीए और एक हजार रुपये रेमुनरेशन का दिया जाएगा। वहीं, डीडीइ भवन के बिजली बिल भुगतान का भी प्रस्ताव रखा गया था। वहां अभी परीक्षा संबंधी कार्य चल रहे हैं जिसको देखते हुए निर्णय लिया गया कि परीक्षा विभाग बिल का भुगतान करेगा।
परीक्षा नियत्रंक ने बताया
परीक्षा नियत्रंक ने बताया कि पीएचडी करने वाले छात्र-छात्राएं अपनी सिनॉप्सिस या थीसिस में साहित्यिक चोरी (प्लेगरिज्म) नहीं कर सकेंगे। ाूजीसी की ओर से तैयार सॉफ्टवेयर ‘उरकुंद’ इस चोरी को तुरंत पकड़ लेगा। नए नियम के तहत अब शोधार्थी जैसे ही अपनी थीसिस जमा करेंगे, उसकी जांच कराई जाएगी। जांच में सभी तथ्य सही होने पर थीसिस जमा होगी। अगर साहित्यिक चोरी मिलती है तो छात्र को रिवीजन का काम करना होगा।
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