स्नातकोत्तर छात्रों में शोध प्रवृति विकसित और अनुसंधान योग्यता निखारने के लिए हुआ ऑनलाइन कार्यशाला
वर्तमान समय में अधिकांश शोधकार्य बेमानी और निरर्थक हैं। जिसका कोई इम्पैक्ट-फैक्टर्स नहीं होता। शोध प्रश्न समस्या को स्थानीय सामाजिक परिवेश से जुड़ा होना चाहिए एवं इसका निर्धारण व्यक्तिगत रुचि, विषयों अनुभव और पूर्व में सम्पन्न शोधकार्य के सर्वेक्षण के आधार पर होना चाहिए।
ये बातें ऑनलाइन कार्यशाला में शोध परिकल्पना की व्याख्या करते हुए भारत के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक, वर्तमान में जेएनवी विश्वविद्यालय, जोधपुर के और पूर्व में डीडीयू विश्वविद्यालय गोरखपुर के कुलपति प्रो. पीसी त्रिवेदी ने कहीं। कार्यशाला स्थानीय आरएन कॉलेज की चुनौतियों व महत्वाकांक्षी अकादमिक पहल के अन्तर्गत स्नातकोत्तर छात्र छात्राओं में शोध प्रवृति विकसित करने और उनकी अनुसंधान योग्यता डेवलप करने के प्रशिक्षण सह कार्यशाला आयोजित किया गया।
कार्यशाला प्रथम चरण शनिवार को ऑनलाइन आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन कॉलेज सांस्कृतिक समिति के डॉ. सुमन सिन्हा ने कॉलेज कूल गीत से की प्रो. पीसी त्रिवेदी ने कहा कि यह शोध की बुनियादी मान्यताओं और उद्देश्यों से जुड़ा है, जिसे सटीक और सरल होना चाहिए। यदि प्रयोग मनुष्यों या जानवरों पर किया जाना है, तो एक नैतिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इस दौरान छात्रों को अनुसंधान परियोजना तैयार करने के
ओर से की गई। जिसमें नयी शिक्षा नीति विषय में पूरी जानकारी दी गई।
अनुसंधान पद्धति ही शोध कार्य की विश्वसनीयता का है आधार
एरोबायलाजिकल सोसायटी आफ इन्डिया के उपाध्यक्ष डॉ. महेश राय ने शोधपत्र लेखन में आधुनिकतम ‘रेफरेंस पद्धति अपनाने के विषय में छात्र छात्राओं को विस्तार से जानकारी से जानकारी दी। संचालन डॉ. महेश राय ने किया। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रवि के रवि कुमार सिन्हा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि अनुसंधान पद्धति को वैज्ञानिक शोधकार्य और जांच की रीढ़ है।
एक संपूर्ण शोध प्रयास को बनाता है या बिगाड़ता है। अनुसंधान पद्धति ही शोध कार्य की समग्र वैधता और विश्वसनीयता के मूल्यांकन के लिए आधार बनाता है। एक शोध पत्र में केवल यह उल्लेख करना पर्याप्त नहीं है कि किन विधियों और तकनीकों का उपयोग किया गया है।
इन विषयों पर छात्रों को मिला टिप्स
ऑनलाइन कार्यशाला में जुड़े महाविद्यालय के स्नातकोत्तर छात्रों को प्रो. पीसी त्रिवेदी ने उदाहरणों के माध्यम से विभिन्न पहलुओं के विषय में विस्तार से जानकारी दी। जिसमे शोध समस्या का चुनाव, निर्धारण, शोध कार्य का शीर्षक, पूर्व -सम्पादित शोधकार्य की समीक्षा अध्ययन के उद्देश्य, शोध डिजाइन की परिकल्पना, कार्यप्रणाली, वैचारिक संरचना, फील्ड सर्वेक्षण, प्रयोगशाला, कार्य, रिपोर्ट लेखन, शोध कार्य का निहितार्थ, निष्कर्ष और चुनिंदा ग्रंथ सूची अनुसंधान पद्धति के विभिन्न पहलुओं की विस्तार से व्याख्या की।
छात्रों के समस्याओं का हुआ समाधान
ऑनलाइन कार्यशाला में महाविद्यालय के स्नातकोत्तर छात्रों ने शोध पत्र तैयार करने में होने होने वाली समस्याओं का समाधान के लिए प्रश्नोत्तरी आयोजित हुई। जिसमें प्रतिक रत्न, पुरुषोत्तम, गौरव जायसवाल, प्रतिभा, मोनू, वैशाली, सोनम, अंकित, कृति कृष्णन समेत अन्य छात्र-छात्राओं के प्रश्नों को डॉ. जेपी त्रिपाठी ने संकलित व विद्वान शिक्षकों द्वारा उनकी शंकाओं का समाधान किया गया।
छात्रों ने कार्यशाला में दिए गए व्याख्यानों के सारांश अपने शोध प्रस्ताव के शीर्षक के साथ अपने-अपने विभागाध्यक्ष के पास मूल्यांकन के लिए प्रस्तुत किया। समापन कालेज के सांस्कृतिक समिति की डॉ. सुमन सिन्हा द्वारा प्रस्तुत राष्ट्रगान से किया गया।