PATNA : कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन लेने वाले 40 फीसदी व्यक्ति सुरक्षित नहीं है. वैक्सीन के दोनों डोज लेने के 14 दिन बाद भी उनमें एंटीबाडी नहीं बन पा रही है. लिहाजा उनके फिर से संक्रमित होने का उतना ही खतरा है जितना टीका नही लेने वाले लोगों का. पटना एम्स में किये गये शोध में ये बात सामने आयी है.
पटना एम्स का वैक्सीन पर रिसर्च
पटना एम्स ने वैक्सीन का दोनों डोज ले लाने वाले लोगों पर रिसर्च किया है. उसमें पता चला कि वैक्सीन का दोनों डोज लेने के 14 दिन बाद भी सिर्फ 60 फीसदी लोगों में ही एंटीबॉडी बन पा रहा है. यानि 100 में से सिर्फ 60 लोग ही कोरोना से सुरक्षित हो पा रहे हैं. उनपर वही खतरा है जो टीका नहीं लेने वाले व्यक्ति पर है.
पटना एम्स ने कोरोना के 100-100 मरीजों की एंटीबॉडी रिपोर्ट को अलग अलग तरीके से अध्ययन किया है. रिसर्च करने वाली डॉक्टर नेहा सिंह ने बताया कि एम्स में कोरोना वैक्सीन का दोनो डोज लेने वाले लोगों के साथ साथ सामान्य कोरोना मरीजों के बॉडी में बनने वाले एंटीबॉडी का अध्ययन किया गया. अब तक जो जानकारी मिल रही है उससे ये लग रहा है कि वैक्सीन लेने वाले लोगों में समान रूप से एंटीबॉडी नहीं बन पा रहा है.
डॉ नेहा सिंह ने बताया कि अलग अलग लोगो के शरीर में इम्युन का सिस्टम अलग अलग होता है. इसके कारण ही ये देखने को मिल रहा है. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि एक ही परिवार के कई लोग जब एक साथ संक्रमित हो जा रहे हैं तो कुछ ठीक हो जा रहे हैं और कुछ की मौत हो जा रही है. ये उनके शरीर के इम्युन सिस्टम का असर होता है. जिसका इम्युन सिस्टम जितना बेहतर होता है उतना बढिया एंडी बॉडी बनता है.
क्या करें वैक्सीन लेने वाले
डॉक्टर कह रहे हैं कि जिन लोगों में एंटीबॉडी नहीं बन पा रही है उन्हें अपनी सुरक्षा का ख्याल रखना होगा. उन्हें वही तरीका अपनाना होगा, जो सामान्य लोग अपना रहे हैं. यानि मास्क, दो गज की दूरी और हाथ को सेनेटाइज करते रहना. वैसे एम्स में रिचर्स जारी है. उसमें कुछ नये नतीजे भी आ सकते हैं.
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