School-College Re-opening in Bihar बिहार में अनलॉक (Bihar Unlock) से जुड़ी यह आज की सबसे बड़ी खबर है। बाजार के शर्तों के साथ खुलने के बाद अब शिक्षण संस्थानों (Educational Institutions) की बारी है। कोरोना महामारी के संक्रमण की स्थितियां सामान्य रहीं तो छह जुलाई के बाद चरणबद्ध ढंग से राज्य में शिक्षण संस्थान खोले जाएंगे।
शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी (Education Minister Vijay Kumar Chaudhary) ने रविवार को इस संबंध में जानकारी दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि स्थिति में सुधार होता रहा तभी बच्चों की सुरक्षा काे ध्यान में रखते हुए शर्तों के साथ सरकारी एवं निजी स्कूल-कालेज खोलने की तिथि तय की जाएगी। फिलहाल शिक्षा विभाग के स्तर से शिक्षण संस्थानों को खोलने की तैयारी चल रही है।
![बिहार में अनलॉक से जुड़ी सबसे बड़ी खबर, अब छह जुलाई से खुलने लगेंगे शिक्षण संस्थान ...जानिए गाइडलाइन 1 FB IMG 1624805413985](https://zeebihar.com/wp-content/uploads/2021/06/FB_IMG_1624805413985-689x1024.jpg)
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पहले चरण में खोले जाएंगे उच्च शिक्षण संस्थान
शिक्षा मंत्री ने बताया कि सभी बच्चों की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में है। बच्चों की जान जोखिम में डालकर शिक्षण संस्थान नहीं खोले जा सकते।
छह जुलाई के बाद पहले चरण में विश्वविद्यालय और महाविद्यालय खोले जाएंगे। दूसरे चरण में माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय (कक्षा 9वीं से 12वीं तक), तीसरे चरण में प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों (कक्षा एक से आठ तक) के बच्चों के लिए कक्षाएं शुरू की जाएंगी।
अन्य शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों की उपस्थिति पर शिक्षा विभाग की ओर से विशेष रूप से गाइडलाइन जारी होगी। एक दिन में केवल 50 फीसद विद्यार्थी ही कक्षा में उपस्थित होंगे। शेष 50 फीसद अगले दिन आएंगे। सभी जिलों में कोरोना प्रोटोकाल का कड़ाई से अनुपालन कराया जाएगा।
बच्चों की पढ़ाई के प्रति सरकार गंभीर
शिक्षा मंत्री ने बताया कि सभी बच्चों की पढ़ाई को लेकर राज्य सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। हम शिक्षण संस्थानों को खोलना इसलिए भी चाह रहे हैं कि कोरोना महामारी के संक्रमण के चलते लगातार स्कूल-कालेज समेत अन्य शिक्षण संस्थान बंद हैं और इससे बच्चों की पढ़ाई बाधित है। विशेषकर छोटे बच्चों की पढ़ाई का सिलसिला ही टूट जाता है,
जिसे फिर पटरी पर लाना कठिन हो जाता है। उच्च कक्षाओं के विद्यार्थियों में अपनी पढ़ाई के प्रति जिम्मेदारी होती है, लेकिन छोटे बच्चे स्कूलों में पढ़ाई के साथ-साथ शिक्षकों और सहपाठियों से संवाद के क्रम में ही बहुत कुछ सीखते हैं।
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