बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में 68 साल के दौरान पास होने वाले छात्रों का रिकार्ड डिजिटल होगा। कागजों पर सिमटी इन रिकॉर्डो को एक क्लिक पर देखा जा सकेगा। विवि में इसपर काम शुरू हो गया है।
विवि के स्थापना से लेकर अबतक पास होने वाले छात्रों की संख्या 75 लाख से अधिक है। इन तमाम छात्रों के टेबुलेशन रजिस्टर को स्कैन किया जा रहा है। इसके बाद तमाम छात्रों के रिकॉर्ड का डाटा इंट्री कर कम्प्यूटराइज कर दिया जाएगा। इसमें स्नातक, पीजी, बोकेशनल, प्रोफेशनल सभी तरह के कोर्स के छात्रों का रिकॉर्ड कम्प्यूटराइज किया जाना है।
विधि की स्थापना वर्ष 1952 में हुआ था। उस वक्त इसका नाम बिहार विश्वविद्यालय था। इसके बाद 1992 में नाम बीआरए बिहार विश्वविद्यालय हो गया। परीक्षा नियंत्रक डॉ. संजय कुमार का कहना है कि स्थापना काल से लेकर अबतक पास होने वाले छात्रों को रिकॉर्ड डिजिटल किया जा रहा है। इसके साथ ही अब पास होने वाले छात्रों का रिकॉर्ड भी डिजिटल मोड में रहेगा।
डिग्री बनाने में आसानी
• वर्ष 1952 से अबतक पास छात्रों का अंक किया जा रहा डिजिटल
• छात्रों का निकलेगा डाटा, नये छात्रों के रिकार्ड भी होंगे डिजिटल
हालांकि, इसकी हार्ड कॉपी भी विवि में रहेगी। उन्होंने कहा कि कुछ समय बाद कागज खराब होने लगते हैं। ये रिकार्ड छात्रों के पढ़ाई और विवि के एसेट हैं। इससे यह भी पता चलेगा कि अबतक कितने छात्रों ने यहां से पढ़ाई की डिग्री तैयार करने में भी समय बचेगा।
टुकड़ों में बंटा है टेबुलेशन रजिस्टर
स्कैनिंग के लिए जब टेबुलेशन रजिस्टर निकाला गया तो इसकी हालत अच्छी नहीं है। कई टेबुलेशन रजिस्टरों में बंटा है। इस कारण अंकों को देखना आसान नहीं होता है। हालांकि, बीच में इसकी मरम्मत की गई है, लेकिन 10 वर्ष पुराने रजिस्टर की हालत और भी खराब है।
कर्मियों का कहना है एक रजिस्टर में सैकड़ों छात्रों के दो से तीन साल का रिकॉर्ड रहता है। डिग्री बनाने के लिए हमेशा निकाला जाता है। इससे उसके कागजों पर असर पड़ने के कारण टीआर की हालत बिगड़ जाती है।
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