NET-JRF : पहले जानते हैं कि UGC नेट-JRF परीक्षा क्या है?
असिस्टेंट प्रोफेसर बनने और किसी सब्जेक्ट में रिसर्च करने के लिए UGC नेट-JRF एग्जाम पास करना जरूरी होता है। पोस्ट ग्रेजुएट (PG) सेकेंड ईयर और PG की पढ़ाई पूरी करने वाले स्टूडेंट इसके लिए आवेदन करते हैं। UGC साल में दो बार यह परीक्षा कराता है। दिसंबर 2020 में देश भर के करीब साढ़े 8 लाख युवाओं ने इस परीक्षा के लिए फॉर्म भरा था। इनमें से करीब 47 हजार छात्रों को सफलता मिली थी।
UGC JRF एग्जाम के लिए कितने स्टूडेंट फॉर्म भरते हैं और कितने होते हैं पास
दिसंबर 2019 में नेट-JRF परीक्षा में कुल 10 लाख से अधिक स्टूडेंट ने परीक्षा के लिए फॉर्म भरा था। इनमें से करीब 7 लाख लोग इस परीक्षा में शामिल हुए थे। इस परीक्षा में 60 हजार से अधिक छात्र केवल असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए चुने गए थे। वहीं, महज 5 हजार छात्र असिस्टेंट प्रोफेसर और JRF दोनों के लिए सिलेक्ट हुए थे। सफलता को प्रतिशत में देखें तो इस परीक्षा में कुल करीब 6.5% छात्रों को ही सफलता मिलती है। वहीं, JRF और असिस्टेंट प्रोफेसर दोनों के लिए सिर्फ 0.5% छात्र ही सेलेक्ट होते हैं।
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सक्सेस रेट 0.5% फिर भी सेंट्रल यूनिवर्सिटी से PhD में एडमिशन मुश्किल
ऐसे हजारों युवा हैं जो दिन-रात मेहनत कर JRF में सेलेक्ट हो जाते हैं लेकिन फिर भी उन्हें सेंट्रल या स्टेट यूनिवर्सिटी में एडमिशन नहीं मिलता है। ऐसे में सवाल है कि परीक्षा में सफलता दर इतना कम होने के बाद भी आखिर उन्हें किसी अच्छे यूनिवर्सिटी में एडमिशन क्यों नहीं मिल रहा है? इसकी दो प्रमुख वजहें हैं एक तो यह कि सेंट्रल और स्टेट यूनिवर्सिटी में PhD के लिए कम सीट होती हैं। दूसरा यह कि JNU, DU समेत कई यूनिवर्सिटी में PhD में एडमिशन के लिए अलग से एग्जाम और इंटरव्यू लिए जाते हैं।
JRF सेलेक्टेड फिर भी PhD में एडमिशन नहीं होने पर एक्सपर्ट की राय
दिल्ली यूनिवर्सिटी के सीनियर प्रोफेसर और शोध निर्देशक राकेश कुमार ने देश के टॉप यूनिवर्सिटी में होने वाले PhD एडमिशन की प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा, ‘देश की टॉप संस्थान 0.5% योग्य स्टूडेंट का सेलेक्शन करती है। ऐसे में सेंट्रल यूनिवर्सिटी में रैंक के हिसाब से सबसे पहले JRF वाले को एडमिशन मिलनी चाहिए।’ साथ ही उन्होंने PhD में एडमिशन नहीं मिलने के चार कारण बताए हैं।
यूनिवर्सिटी में सीटों की संख्या कम, लेकिन साल में दो बार एग्जाम होने से सिलेक्टेड छात्रों की संख्या अधिक हो रही है।
परीक्षा में पहले सवाल सब्जेक्टिव होते थे और अब ऑब्जेक्टिव टाइप सवाल पूछे जा रहे हैं। ऐसे में कई छात्र विषय को समझे बगैर रट के पास हो जा रहे हैं, लेकिन इंटरव्यू में जवाब नहीं दे पा रहे हैं।
JRF सेलेक्टेड छात्रों के पास गाइडेंस का आभाव। अच्छे टॉपिक सेलेक्ट नहीं करने की वजह से इंटरव्यू में कम अंक मिलते हैं।
JRF करने वाले ज्यादातर छात्र प्राइवेट यूनिवर्सिटी या किसी ऐसे यूनिवर्सिटी से रिसर्च नहीं करना चाहते हैं, जहां स्कॉलशिप का पैसा नहीं मिल रहा हो या काफी कम मिलता हो।
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देश के सेंट्रल और स्टेट यूनिवर्सिटी से कितने स्टूडेंट करते हैं PhD
2019 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) ने PhD में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट को लेकर रिपोर्ट जारी किया था। 2017 में देश में कुल रिसर्च करने वालों में से 14.31% ने सेंट्रल यूनिवर्सिटी से PhD की थी। वहीं, 13.41% छात्रों ने प्राइवेट यूनिवर्सिटी से तो 33.59% ने स्टेट यूनिवर्सिटी से PhD की थी। इसके अलावा, IIT और इस तरह के दूसरे इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल इंपॉर्टेंस जैसे संस्थानों से 21% छात्र PhD करते हैं। ध्यान रखने वाली बात यह है कि इसमें नेट-JRF और गेट दोनों एग्जाम में पास होने वाले छात्र हैं।
PhD एडमिशन पर देश के टॉप दो यूनिवर्सिटी में हो चुका है विवाद
देश के टॉप जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) ने साल 2021-22 में PhD में एडमिशन के लिए JRF सेलेक्टेड होना जरूरी कर दिया है। यह मामला नवंबर 2021 में दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गया था। कोर्ट ने यूनिवर्सिटी के फैसले को सही बताते हुए याचिका खारिज कर दिया था। इसी तरह दिल्ली यूनिवर्सिटी में 2017 में छात्र और प्रोफेसर दोनों ने मिलकर प्रोटेस्ट किया था। इनकी मांग थी कि DU प्रशासन PhD में एडमिशन के लिए इंटरव्यू को 100% वेटेज देना बंद करे। अभी भी देश के कई टॉप यूनिवर्सिटी PhD में एडमिशन के लिए खुद का एग्जाम और इंटरव्यू करवाते हैं।
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दूसरे देशों से रिसर्च में पीछे, इसके बाद भी JRF सेलेक्टेड को नहीं मिल रहा मौका
द हिंदू की रिपोर्ट मुताबिक, अमेरिका में हर साल बैचलर करने वाले कुल स्टूडेंट 20 लाख हैं। इसके करीब 9% छात्र PhD करते हैं। अमेरिका में PhD करने वाले छात्रों की यह संख्या करीब 1.8 लाख है। अब भारत की बात करें तो 2.8 करोड़ स्टूडेंट हर साल ग्रेजुएट पास होते हैं। इनमें से 0.5% से भी कम, यानी करीब 1.4 लाख छात्र PhD करते हैं। इनमें साइंस और आर्ट्स सभी छात्र हैं। अब पड़ोसी देश चीन की बात करें तो यहां हर साल 2.67 करोड़ छात्र ग्रेजुएट होते हैं। इनमें भारत से अधिक 1.74% यानी 4.67 लाख छात्र PhD करते हैं।
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