BRABU : बिहार के मैनेजमेंट विभाग में काम करने वाले एक दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी ने ही छात्रों का फर्जी तरीके से रजिस्ट्रेशन कर दिया। यह काम उसने एक नहीं बल्कि दो-दो सत्रों के छात्रों के साथ किया।
छात्रों के फर्जी रजिस्ट्रेशन को विभाग से विश्वविद्यालय को भी अग्रसारित कर दिया गया। मामला तब खुला जब रजिस्ट्रेशन सेक्शन में देख गया कि संबंधित छात्रों का रजिस्ट्रेशन नंबर गलत है और विवि से इसे जारी नहीं किया गया।
गड़बड़ी के लिए जिम्मेदारों को चिह्नित कर जवाब देना है
इस मामले में परीक्षा विभाग ने एक जांच कमेटी गठित की। कमेटी की बैठक सोमवार को हुई जिसमें विभाग के हेड और डीन को बुलाकर पूरे मामले की जानकारी ली गयी। कमेटी ने मैनेजमेंट के निदेशक से पूरे मामले पर एक रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी की भूमिका और गड़बड़ी के लिए जिम्मेदारों को चिह्नित कर जवाब देना है।
गड़बड़ी थी उसे ठीक कर दिया गया है, आगे की कार्रवाई जारी
कमेटी एक सदस्य ने बताया कि निदेशक की रिपोर्ट के बाद गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई की जायेगी। इस पूरे मामले पर कॉमर्स और मैनेजमेंट के हेड प्रो एसके मुजतबा ने कहा कि जो गड़बड़ी थी उसे ठीक कर दिया गया है। आगे की कार्रवाई जारी है।
विश्वविद्यालय में लगातार हो रही है ऐसी गड़बड़ी
यूनिवर्सिटी में लगातार रजिस्ट्रेशन में गड़बड़ी सामने आ रही है। दस दिन पहले पार्ट टू में आठ हजार छात्रों का दोहरा रजिस्ट्रेशन UMIS को जांच में मिला था। जांच में पाया गया कि जिन कॉलेजों को वर्ष 2019-22 में संबद्धता नहीं थी उनके छात्रों को दूसरे कॉलेजों से रजिस्ट्रेशन मिला था। वर्ष 2019-22 के पार्ट वन में भी असंबद्ध कॉलेजों के छात्रों का रजिस्ट्रेशन कर दिया था।
वर्ष 2019 और 2021 में हुई गड़बड़ी
मैनेजमेंट विभाग में छात्रों के रजिस्ट्रेशन में गड़बड़ी वर्ष 2019 और फिर 2021 में हुई। यूनिवर्सिटी से जुड़े लोगों ने बताया कि मैनेजमेंट विभाग के एक डेलीवेजज कर्मचारी ने वर्ष 2019 में आठ छात्रों से पैसे ठगकर उन्हें एक फर्जी रजिस्ट्रेशन नंबर दे दिया। यह नंबर विवि के रजिस्ट्रेशन नंबर से मिलता-जुलता था।
कर्मचारी ने पैसे ले लिये और रजिस्ट्रेशन नंबर दे दिया
यूनिवर्सिटी ने उस समय न्यूमेरिक और अल्फाबेटिकली रजिस्ट्रेशन नंबर शुरू किया था। कर्मचारी ने भी उसी तरह छात्रों को एक कागज पर नंबर दे दिया और उनके माइग्रेशन सर्टिफिकेट जमा कर दिये। छात्रों ने यही नंबर अपने परीक्षा फार्म में भी भर दिये और इस फार्म को कालेज के एक किरानी ने यूनिवर्सिटी भी भेज दिया। इसके बाद फिर यही गलती नये बैच के छात्रों साथ हुई। इस बैच में 11 छात्रों से कर्मचारी ने पैसे ले लिये और रजिस्ट्रेशन नंबर दे दिया।
क्या है रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया
एडमिशन के बाद छात्रों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है। छात्र एडमिशन शुल्क के साथ रजिस्ट्रेशन शुल्क कॉलेजों में जमा करता है। इसके बाद यह राशि विवि में जमा की जाती है। पार्ट वन में रजिस्ट्रेशन के लिए 200 रुपये और 150 रुपये माइग्रेशन फी जमा करनी होती है। रजिस्ट्रेशन के लिए छात्रों की सूची कॉलेज से विवि आती है। उसके बाद विवि रजिस्ट्रेशन जारी करता है।
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