बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के छह लाख से अधिक छात्रों का रिकॉर्ड डिजिटल कर दिया गया। ये पिछले 10 वर्ष के दौरान पास हुए छात्र हैं। इनका टीआर (टेबुलेशन रजिस्टर) को डिजिटल कर दिया गया है। कागज का टेबुलेशन रजिस्टर होने के कारण कई टुकड़ों में बंट गये हैं। इसके कारण डिग्री बनाने में भारी परेशानी आ रही थी। साथ ही कागज पुराना होने के साथ इसको संभाल कर रखना मुश्किल हो रहा था। छात्रों का रिकॉर्ड डिजिटल होने से यह भी पता चल जाएगा कि विश्वविद्यालय से अब तक कितने छात्र पास हुए हैं।
परीक्षा विभाग की ओर से अबतक 2009 से 2018 तक के टीआर को स्कैन कर डिजिटल कर दिया गया है। वहीं, वर्ष 2000 से 2008 तक के टीआर को स्कैन किया जा रहा है। परीक्षा नियंत्रक डॉ. संजय कुमार ने कहा कि 10 वर्ष का टीआर डिजिटल कर दिया गया है। 2017 से पूर्व के टेबुलेशन रजिस्टर को भी स्कैन कराया जा रहा है।
विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर अब तक के छात्रों का टीआर डिजिटल होना है। दरअसल 10 वर्ष पूर्व पास छात्र प्रमाण पत्र के लिए आवेदन देते हैं तो कर्मचारियों को भारी परेशानी होती है। टीआर के पन्ने अलग अलग होने के कारण डिग्री तैयार करने में काफी समय लगता है। परीक्षा नियंत्रक ने कहा कि टीआर के डिजिटल होने के बाद सर्टिफिकेट निकालने में आसानी होगी। इसके लिए विभाग के कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। छात्रों के आवेदन होने के बाद डिजिटल डाटाबेस से उसका मिलान कर डिग्री तैयार कर दिया जाएगा।
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