बिहार के यूनिवर्सिटी में परीक्षाओ का बेड़ा पार लगाता है गेस पेपर

स्नातक व पीजी के छात्र कम खरीदते हैं कोर्स की किताबें

स्नातक व पीजी पास करने के लिए छात्र किताबों से अधिक गेस पेपर खरीदते हैं । आर्ट्स, साइंस व कॉमर्स तीनों संकायों के 60 फीसदी से अधिक छात्रों को इन्हीं गेस पेपर और क्वेश्चन बैंक पर भरोसा है। ये बिना टेक्स्ट बुक पढ़े डिग्री हासिल कर रहे हैं। परीक्षा से कुछ महीने पहले गेस पेपर खरीदने वालों छात्रों की भरमार लग जाती है। कॉलेजों के प्रोफेसरों से ले दुकानदारों तक का कहना है कि 40 फीसदी से कम छात्र कोर्स की किताबें खरीदते हैं या लाइब्रेरियों से किताबें निकालते हैं।

40 फीसदी छात्र किताब खरीदकर और लाइब्रेरी की किताबों से

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मोतीझील के दुकानदार रमेशकुमार ने कहा कि स्नातक या पीजी में छात्र गेस पेपर ही सबसे अधिक खरीदते हैं । टेक्स्ट बुक की जगह छात्र शॉटकॉट विधि अपनाते हैं। परीक्षा से दो महीने पहले गेस पेपर की जबर्दस्त बिक्री होती है। कहना है कि सबसे अधिक आर्ट्स के तमाम विषयों के छात्र इसे खरीदतेहैं । उन्हें इस गेस पेपर में गेस क्वेश्चन के साथ उत्तर भी मिल जाता है। कहना है कि तीनों संकायों के सभी विषयों में औसतन 60 फीसदी छात्र गेस पेपर ही खरीदते हैं। इसमें आर्ट्स के छात्रों की संख्या सबसे अधिक होती है।

किताबों की कीमत से भी छात्र होते हैं मजबूर

किताबों की कीमतों से भी छात्रों को टेक्स्ट बुक खरीदने में परेशानी होती है। दुकानदार मुकेश कुमार ने कहा कि गेस पेपर सौ से सवा सौ रुपये में मिलती है। जबकि एक-एक पेपर की किताबें कम से कम तीन सौ रुपये में आती है। औसतन किताबों की कीमत चार सौ तक | होती है। स्नातक में आठ ऑनर्स पेपर और चार सब्सिडियरी पेपर की पढ़ाई होती है। जबकि पीजी में 16 पेपर की पढ़ाई होती है।

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अधूरा ज्ञान

साइंस, आर्ट्स और कॉमर्स में अधिक छात्र गेस पेपर से पास होते हैं हर साल

परीक्षा से दो महीने पहले गेस पेपर व क्वेश्चन बैंक की खूब होती है बिक्री

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