बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में रिसर्च के लिए रजिस्टर्ड करीब सौ से अधिक छात्रों की फाइलें बंद कर दी
गई हैं। इन शोधार्थियों के लिए गाइड कर पीएचडी के लिए रजिस्ट्रेशन पहले ही किया जा चुका था।
अब पीजी विभागों की ओर से यह कार्रवाई की गई है इन्हें विभाग ने अवैध मानते हुए सूची से बाहर कर
दिया है। दरअसल, ये रिसर्च स्कॉलर रिसर्च शुरू करने के बाद पिछले पांच से छह वर्षों से गायब हैं इन
पीएचडी रिसर्च स्कॉलरों की सूची मंगाकर विश्वविद्यालय ने कार्रवाई की प्रक्रिया.
शुरू की है। केवल इतिहास विभाग में ही ऐसे शोधार्थियों की संख्या 20 से अधिक है। अब इनकी सीटें नए
पीएचडी एडमिशन टेस्ट के लिए जोड़ी जा रही हैं बताया जा रहा है कि अधिकतर छात्रों ने सिनॉप्सिस जमा
भी किया, लेकिन इसके बाद उनका पता नहीं चल सका।
इसमें इतिहास, अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान, हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, दर्शनशास्त्र सहित विज्ञान के विषयों के शोधार्थी भी हैं। bihar university
विवि के प्रॉक्टर व पीजी इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. अजीत कुमार ने कहा कि जो छात्र पीएचडी टेस्ट पास
होने के बाद रजिस्टर्ड हुए और पांच साल तक आए ही नहीं उन्हें विभाग ने वैध मानने से इंकार कर दिया है।
रजिस्ट्रेशन कराने के बाद लंबे अरसे से विवि नहीं आये
विभागों ने इन्हें अब वैध मानने से किया इंकार, सूची अलग
22 अभ्यर्थी सिर्फ इतिहास विभाग में हुए चिह्नित
इन शोधार्थियों पर अब विचार नहीं होगा। सिर्फ इतिहास विभाग में ऐसे 22 अभ्यर्थी है। click here
वहीं, अन्य दो दर्जन विषयों में औसतन पांच से सात ऐसे शोधार्थी चिह्नित हुए हैं। इनपर विभाग अब विचार
नहीं करेगा। पीजी हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. सतीश कुमार राय ने कहा कि जो पांच-छह ऐसे शोधार्थी हैं, उनके नाम भेजे गये हैं अन्य के बारे में शिक्षकों से सूची मांगी गई है।
असम-बंगाल समेत कई प्रदेशों के छात्रों ने बीच में छोड़ा शोध: बीच में शोध कार्य छोड़ने बालों में काफी
संख्या में असम व बंगाल सहित अन्य प्रदेशों के छात्र हैं। वहीं, कई ने नौकरी होने के बाद पीएचडी बीच में ही छोड़ दी है।
जबकि कुछ ने बिहार के बाहर के विवि में पीएचडी का मौका मिला तो यहां से विभागीय कोरम पूरा किये
बिना निकल गये। अभ्यर्थी मनोज कुमार ने बताया कि घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी।
इसी बीच उसकी नौकरी रेलवे में एसएम के पद पर हो गई। इसके बाद से पीएचडी पर ध्यान नहीं दिया।
उनके साथी पंकज को रांची में पीएचडी का मौका मिला तो उन्होंने यहां से शोध छोड़ दिया। bihar university