BRABU: बिहार यूनिवर्सिटी में पीएचडी करने वाले शोधार्थी अपनी जेब ढीली कर साइबर कैफे से सिनॉप्सिस तैयार करा रहे हैं।
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विभागों के पास तकनीशियन और ऑपरेटर नहीं
बिहार यूनिवर्सिटी के पीजी विभागों में कंप्यूटर रहने के बाद भी शोधार्थी इनका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। इन कंप्यूटरों को चलाने के लिए विभागों के पास तकनीशियन और ऑपरेटर नहीं है।
कंप्यूटर से कोई काम कराना हो तो बाहर से पैसे देकर ऑपरेटर को बुलाना पड़ता
पीजी छात्रों का कहना है कि कंप्यूटर चलाने वाले तकनीशियन व ऑपरेटर के नहीं रहने से उनको इसकी कोई मदद नहीं मिल पाती है। विभागाध्यक्षों ने बताया कि विभाग में कंप्यूटर से कोई काम कराना हो तो बाहर से पैसे देकर ऑपरेटर को बुलाना पड़ता है।
कई बार विवि को इसके लिए लिखा गया है, लेकिन अब तक ऑपरेटर नहीं मिला है। विवि के रजिस्ट्रार प्रो. राम कृष्ण ठाकुर ने कहा कि विभागों की जो भी परेशानी है उस संबंध में बात कर उनका समाधान निकाला जाएगा।
कोर्स वर्क में भी नहीं होती है कंप्यूटर
कोर्स वर्क में भी नहीं होती है कंप्यूटर की पढ़ाई पीजी विभागों में कंप्यूटर नहीं चलने से पीएचडी के कोर्स वर्क में भी कंप्यूटर की पढ़ाई नहीं होती है।
इस वर्ष भी पीएचडी का कोर्स वर्क कर रहे शोधार्थियों ने कंप्यूटर की पढ़ाई नहीं की है। कोर्स वर्क के सिलेबस में कंप्यूटर से 20 नंबर के सवाल पूछे जाते हैं। छात्रों ने बताया कि कंप्यूटर रहने के बाद भी हमें इसके बारे में नहीं बताया गया।
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