BRABU : स्नातक सत्र 2021-24 में 45 जगह 34 नंबर पर ही छात्रों का हुआ एडमिशन, जांच के बाद इतने छात्रों का दाखिला रद्द, पढ़ें पूरा मामला

BRABU : बिहार यूनिवर्सिटी में इस बार स्नातक एडमिशन में 45 से कम अंक वालों को भी दाखिला ले लिया गया है। ऑनर्स विषय में दाखिला लेने के लिए संबंधित विषय में 45 फीसदी अंक होने चाहिए। संबद्ध कॉलेज से लेकर कुछ बड़े अंगीभूत कॉलेज भी इस गड़बड़ी में शामिल हैं। यूएमआईएस की जांच में इसका खुलासा हुआ है। जांच के बाद दो छात्राओं और एक छात्र का एडमिशन रद्द कर दिया गया है। आगे जांच जारी है।

इस गड़बड़ी के सामने आने के बाद यूनिवर्सिटी ने मामले की छानबीन शुरू कर दी है। जिन दो छात्राओं का नामांकन रद्द हुए हैं, उनका दाखिला एक बड़े कालेज में हुआ था। एक छात्रा उर्दू और एक जूलॉजी की थी। दोनों को 34 और 35 नंबर थे। इसके अलावा संबद्ध कॉलेज के एक छात्र का भी नामांकन रद्द किया गया है।

बिहार यूनिवर्सिटी के UMIS कोऑर्डिनेटर प्रो. टीके डे ने बताया कि कॉलेजों को रजिस्ट्रेशन स्लिप देने से पहले दो बार नामांकन का सत्यापन किया जाएगा। एक बार रोल नंबर देने से पहले वेरिफिकेशन होगा और दूसरी बार रजिस्ट्रेशन स्लिप जारी करने से पहले जांच की जाएगी। हमलोग इस मामले की छानबीन कर रहे हैं। आगे आगे भी इस तरह का मामला सामने आता है तो कार्रवाई की जाएगी।

पहले भी हो चुकी है फॉर्म वेरिफिकेशन में गड़बड़ी

फॉर्म वेरिफिकेशन में पहले भी गड़बड़ी सामने आ चुकी है। पहली लिस्ट में कई छात्रों के नाम कॉलेजों ने वेरिफिकेशन कर पोर्टल पर नहीं डाले जिससे इनका एडमिशन फंस गया। इसके अलावा कुछ छात्रों दाखिला बिना वेरिफिकेशन के कर लिया गया जिस पर यूएमआईएस ने आपत्ति जताई। कोऑर्डिनेटर ने बताया कि दाखिले के समय फॉर्म वेरिफिकेशन का काम कॉलेज के कर्मियों का होता है।

चार महीने तक चला था स्नातक का दाखिला

बिहार विवि में स्नातक पार्ट वन का दाखिला चार महीने चला था। जनवरी तक दाखिले लिए पोर्टल खोला गया था। जैसे-जैसे कॉलेजों को संबद्धता मिलती गयी, उस तरह दाखिले की प्रक्रिया होती रही। बिहार विवि में अब 108 कॉलेज हैं। इस बार बिहार विवि में एक लाख 13 हजार 389 छात्रों का दाखिला हुआ है। जबकि, सीटें एक लाख 56 हजार थीं।

यूएमआईएस ने पकड़ी गड़बड़ी धांधली का हुआ खुलासा

मामला सामने आने के बाद तीन छात्रों का नामांकन रद्द

कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से हुई गड़बड़ी

सूत्रों ने बताया कि कॉलेजों के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से दाखिले में यह गड़बड़ी हुई है। छात्रों की मार्क्सशीट पर व्हाइटनर लगाकर नंबर को बढ़ा दिया गया और दाखिला ले लिया गया। कुछ छात्र भी अपना दाखिला कराने के लिए यह गड़बड़ी करते हैं। कॉलेजों में दस्तोवज सत्यापन के दौरान इसे चेक नहीं किया जाता और दाखिला हो जाता है। यूएमआईएस कोऑर्डिनेटर ने बताया कि ऑनलाइन दाखिला में सिस्टम से कोई गड़बड़ी नहीं हो सकती है।

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