BRABU : बिहार यूनिवर्सिटी जल्द नई ‘भोजपुरी डिक्शनरी’ की सौगात देनें जारी है , 25 हजार नये शब्दों के मिलेंगे अर्थ

BRABU zeebihar

BRABU : बिहार यूनिवर्सिटी भोजपुरी के 25 हजार नये शब्दों के अर्थ लोगों को समझायेगा। एलएस कॉलेज में चलने वाले भोजपुरी विभाग में भोजपुरी का शब्दकोश बनाया जा रहा है। विभाग के दो छात्र और विभागाध्यक्ष इस काम को कर रहे हैं। इस शब्दकोश में बिहार के अलावा, झारखंड और ओडिशा के कुछ हिस्सों में बोली जाने वाली भोजपुरी के शब्द शामिल किये जायेंगे। विभागाध्यक्ष प्रो जयकांत सिंह के मुताबिक अब तक 25 प्रतिशत काम पूरा हो गया है।

भोजपुरी के शब्दकोश आये हैं उनमें लगभग 25 हजार शब्द

बाकी काम लगातार किया जा रहा है। विभागाध्यक्ष ने कहा कि कई देश के कई हिस्सों में भोजपुरी बोलने वाले लोग हैं। पहले के शब्दकोशों में अब तक जो शब्द नहीं आ पाये हैं, उन्हें भी लाया जायेगा ताकि भोजपुरी की व्यापकता से सभी परिचित हो सकें। अब तक जितने भोजपुरी के शब्दकोश आये हैं उनमें लगभग 25 हजार शब्द हैं। हमलोग 50 हजार शब्द वाले भोजपुरी शब्कोश को तैयार करने में जुटे हैं। जो शब्द हमारे आम बोलचाल में घुले हैं, उन्हें खोजकर यह शब्दकोश बनाया जा रहा है।

झारखंड के पलामू और ओडिशा के राउ के शब्दों को जोड़ा जायेगा

बिहार विवि के एलएस कॉलेज में बन रहे भोजपुरी शब्दकोश में बिहार के अलावा दूसरे राज्यों के जिन हिस्सों में भोजपुरी बोली जाती है, उनके शब्द भी रहेंगे। विभागाध्यक्ष प्रो जयंतकांत सिंह ने बताया कि झारखंड के पलामू, गढ़वा में भोजपुरी बोली जाती है। इसके अलावा ओडिशा के राउ में लोग भोजपुरी बोलते हैं लेकिन वहां की भोजपुरी में इस्तेमाल होने वाले शब्द हमलोग नहीं समझते हैं। इन जगहों पर डिक्शनरी बनाने के लिए हमलोग जायेंगे और वहां की भोजपुरी के शब्दों और अर्थ पर अध्ययन करेंगे। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश और छत्तीसढ़ के कुछ हिस्सों में भी भोजपुरी का प्रचलन है पर वह सामने नहीं आया है। वहां के शब्दों को जोड़कर डिक्शनरी को विस्तार दिया जायेगा।

भोजपुरी साहित्य का इतिहास लेखन भी शुरू

एलएस कॉलेज के भोजपुरी विभाग में भोजपुरी साहित्य का इतिहास भी लिखा जा रहा है। यह इतिहास वर्ष 1980 से बाद भोजपुरी गद्य साहित्य में आये बदलाव और प्रवृत्तियों के बारे में है। विभागाध्यक्ष ने बताया वर्ष 1980 के बाद भोजपुरी साहित्य में कई लेखक सामने आये उनके बारे में अब तक इतिहास में जानकारी नहीं है। इसलिए विभाग ऐसे लेखकों के बारे में जानकारी जुटा रहा है।

बिहार सरकार ने जारी किया निर्देश : सरकारी स्कूलों के अध्यापक अब शराब पीने और बेचने वालों पर रखेंगे नजर

भोजपुरी की पहली डिक्शनरी मोतिहारी में 1940 में लिखी गयी

डॉ जयकांत सिंह ने बताया कि भोजपुरी के शब्दों के देसज अर्थ होते हैं। खरकटल शब्द का अर्थ कई लोग नहीं समझते हैं। इसे जोड़ा है। इसका अर्थ होता है खाने के बाद जो जूठा कड़ा हो जाता है। रकटल शब्द को भी शब्द कोश में जोड़ा गया है। इसका अर्थ होता है, लालसा है पर वह चीज मिल नहीं रही है। गुमसाइन का लोग अर्थ सभी चीजों में दुर्गंध लगाते हैं पर इसका वास्तविक अर्थ कपड़ों के दुर्गंध से है। भोजपुरी की पहली डिक्शनरी मोतिहारी में वर्ष 1940 में लिखी गयी थी। यह डिक्शनरी एलसेन जोसेफ ने लिखी थी, इसमें 1500 शब्द थे।

Telegram Group – Click here

Facebook Group – Click Here

Bihar News – Click Here

Join WhatsApp – Click Here

बिहार यूनिवर्सिटी में पीजी सत्र 2018-20 के फोर्थ सेमेस्टर की परीक्षा शुरू