बीआरए बिहार विवि के स्नातक में इस बार भी 30 हजार सीटें खाली रह जाएंगी। छात्रों के दाखिले के लिए नहीं पहुंचने से सीटें नहीं भर रही हैं। तीसरी मेधा सूची में 33 हजार छात्रों का चयन किया गया था, लेकिन अब तक सिर्फ 1526 छात्रों ने ही दाखिला लिया है। दाखिले की अंतिम तारीख 23 अक्टूबर है।
वर्ष 2019 में 20 हजार सीटों पर छात्रों का दाखिला नहीं हुआ
छात्रों के दाखिला नहीं लेने से विवि प्रशासन को भी लग रहा है कि इस बार भी 30 हजार सीटें खाली रह जाएंगी। पिछले वर्ष भी 33 हजार सीटें स्नातक में खाली रह गयी थीं। वहीं, वर्ष 2019 में 20 हजार सीटों पर छात्रों का दाखिला नहीं हुआ था। इस बाद बिहार विवि में एक लाख 30 हजार सीटों पर छात्रों का दाखिला लिया जाना था। नामांकन के लिए एक लाख 42 हजार छात्रों ने आनलाइन आवेदन किया था।
हर सूची में छात्रों ने नहीं लिया दाखिला
बीआरए बिहार विवि ने पहले दो और मेधा सूची जारी की थी। लेकिन, दोनों सूची में चयनित होने वाले पूरे छात्रों ने दाखिला नहीं लिया। पहली सूची में 88 हजार छात्रों का चयन किया गया था, लेकिन उसमें 62 हजार छात्रों का ही दाखिला हुआ। हालांकि, पहली सूची के 26 हजार छात्रों का दाखिला कॉलेजों की लापरवाही से नहीं हो सका था तो तीन हजार छात्रों ने बीमार हो जाने का आवेदन विवि प्रशासन को दिया है। दूसरी मेधा सूची में 13 हजार 500 छात्रों का चयन हुआ था, लेकिन 7300 छात्रों ने ही दाखिला लिया।
लगातार लेट चल रहा है बिहार लेट चल रहा है बिहार विवि का सत्र :
बिहार विवि से जुड़े शिक्षकों का कहना है सत्र नियमित नहीं होने से छात्र दूसरे विवि की ओर रुख कर रहे हैं। हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. सतीश कुमार राय ने बताया कि विवि में शिक्षकों की कमी है, सत्र भी नियमित नहीं है। इसका असर भी नामांकन पर पड़ता है। जिन छात्रों के पास सुविधा है वे दिल्ली चले जा रहे हैं।
छात्र बाहर जाकर वोकेशनल कोर्स कर रहे
संस्कृत विभाग के प्रो. मनोज कुमार ने कहा कि छात्रों का रुझान वोकेशनल कोर्स की तरफ बढ़ा है। इसलिए भी जेनरल कोर्स में एडमिशन कम हो रहे हैं। आरबीबीएम कॉलेज की प्राचार्य डॉ. ममता रानी ने कहा कि सत्र नियमित नहीं होने से बच्चे बाहर जा रहे हैं। नये कॉलेज खुल रहे हैं, लेकिन बच्चों की संख्या नहीं बढ़ रही है। छात्र बाहर जाकर वोकेशनल कोर्स कर रहे हैं।
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