परंपरागत विश्वविद्यालयों द्वारा नियम विरुद्ध जाकर फार्मेसी कॉलेज खोलने की संबद्धता देने के मामले को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है। इन विश्वविद्यालयों के कुलसचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। जिन विवि को नोटिस भेजा गया है,
उनमें बीआर आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय पटना, मुंगेर विश्वविद्यालय मुंगेर, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा और मगध विश्वविद्यालय बोधगया के कुलसचिव शामिल हैं।
दरअसल, राज्य में तकनीकी कोर्स को संबद्धता देने का अधिकार आर्यभट्ट ज्ञान विवि को है। इसका उल्लंघन करते हुए पीपीयू ने 12 फार्मेसी कॉलेजों को संबद्धता दे दी। कई अन्य विश्वविद्यालयों की भी ऐसी शिकायत आई है।
सबसे बड़ी बात यह है कि बीएड कॉलेज का भवन दिखाकर फार्मेसी का कोर्स चलाने की तैयारी थी। लॉकडाउन के दौरान ये सब किया गया। यह मामला सत्र 2020-21 में फार्मेसी पाठ्यक्रम में संबद्धन प्रदान करने का है। सरकार द्वारा जारी नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि बिहार में आर्यभट्ट ज्ञान विवि की स्थापना के बाद कोई भी अन्य परंपरागत विवि तकनीकी पाठ्यक्रम चलने के लिए संबंद्धन या अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रदान नहीं कर सकता।
इन तकनीकी पाठ्यक्रमों में इंजीनियरिंग, नैनो टेक्नोलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी, मेडिसिन, हेल्थ, फार्मेसी, नर्सिंग, मैनेजमेंट जैसे कई विषयों को शामिल किया गया है, जिनमें केंद्र सरकार के किसी स्वशासी निकाय के अनुमोदन की आवश्यकता होती है।
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सरकार से जो पत्र प्राप्त हुआ है। इसके हिसाब से वर्ष 2008 के बाद परंपरागत विश्वविद्यालय कोई तकनीकी कोर्स नहीं चला सकते हैं। -डॉ. पीके वर्मा, कुलसचिव आर्यभट्ट ज्ञान विवि पीपीयू द्वारा 12 कॉलेजों को सम्बद्धता दी गई है। सरकार से पत्र प्राप्त हुआ है। इसका जवाब दिया जाएगा।
-डॉ. जितेंद्र कुमार, कुलसचिव पाटलिपुत्र विवि
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