BRABU : कुलपति ने विभागों के माध्यम से एमफिल कराने का दिया था आश्वासन, हफ्तेभर में भी नहीं जारी हुआ नोटिफिकेशन

BRABU : बिहार यूनिवर्सिटी में एमफिल कोर्स रेगुलर मोड में पीजी विभागों के माध्यम से पूरा कराने और दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में अनियमितता की जांच के लिए कुलपति के आश्वासन के बावजूद हफ्तेभर में कोई नोटिफिकेशन नहीं हो सका है।

29 दिसंबर को सिंडिकेट की बैठक में सदस्यों ने मुद्दा उठाया, तो कुलपति ने पीजी विभागों ही थीसिस जमा कराने और वहीं से शोध की प्रक्रिया पूरी कराने का आश्वासन दिया था।

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साथ ही डीडीइ की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी की घोषणा की थी. अब तक कोई नोटिफिकेशन नहीं मिलने से छात्रों के साथ ही विभागाध्यक्ष व विश्वविद्यालय के अधिकारी भी असमंजस में हैं।

राजभवन की ओर से रेगुलेशन में स्पष्ट निर्देश

दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में एमफिल का थीसिस जमा करने के नाम पर अनियमितता की शिकायत सिंडिकेट सदस्यों ने कुलपति से की थी. सदस्यों ने कहा कि राजभवन की ओर से रेगुलेशन में स्पष्ट निर्देश है कि पीजी विभागों में ही थीसिस और शोध कराने होंगे।

कुलपति ने रेगुलेशन के अनुसार ही शोध कराने का आश्वासन

यह कोर्स रेगुलर मोड में है. ऐसे में दूरस्थ शिक्षा निदेशालय की इसमें कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए थी. इस पर कुलपति ने रेगुलेशन के अनुसार ही शोध कराने का आश्वासन दिया था। कहा गया कि पोस्ट ग्रेजुएशन रिसर्च काउंसिल (पीजीआरसी) और डिपार्टमेंटल रिसर्च कमेटी (डीआरसी) के अधीन ही पूरी प्रक्रिया करायी जायेगी.

छात्रों का कहना है कि अगले हफ्ते एमफिल की लिखित परीक्षा का परिणाम आने वाला है. इसके बाद थीसिस जमा कराने का दबाव शुरू हो जायेगा. जल्द कोई निर्णय नहीं होने से उन्हें काफी नुकसान होगा.

कमेटी गठन में देर पर उठ रहे सवाल

दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में वित्तीय अनियमितता के आरोपों की जांच के लिए कुलपति प्रो हनुमान प्रसाद पांडेय ने सिंडिकेट की बैठक में पांच सदस्यीय कमेटी गठित करने का आश्वासन दिया।

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बैठक में ही कमेटी के सदस्य के रूप में डॉ अजीत कुमार, डॉ हरेंद्र कुमार, डॉ वीरेंद्र कुमार सिंह, डॉ बीरेंद्र चौधरी और डॉ रेवती रमण के नाम की घोषणा भी कर दी।

हालांकि अब तक यूनिवर्सिटी की ओर से आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं होने के कारण तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं. कहा जा रहा है कि कमेटी में सदस्य बदलने को लेकर विवि के अधिकारियों पर लगातार दबाव पड़ रहा है. नामित सदस्यों का कहना है कि अब तक विश्वविद्यालय की ओर से कोई पत्र नहीं मिला है, इस कारण जांच शुरू नहीं हो सकी है.

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